जज़्बातों का समंदर हैं वो।
वात्सल्य का बवंडर हैं वो।
ऐसा लब्ज़, जिसे लेने के लिए खुदा भी तरस जाए
ऐसा अल्फ़ाज़ हैं वो।
जिसमें व्याकरण ही नहीं, सारा शब्दकोश समाँ जाए
ऐसा शब्द ही नहीं, मात्र अक्षर हैं वो।
क्या कहूं उसके बारे में, जिसने ये सारा जहां लिखा
माँ है वो।
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