savyasanchi ji   (©सव्यसांची)
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एक उन्मुक्त रचनाकार
Joined 22 November 2018


एक उन्मुक्त रचनाकार
Joined 22 November 2018
27 NOV 2021 AT 21:36

अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है

लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है

मैं जानता हूं के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन,
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है

हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है

जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं जाति मकान थोड़ी है
#Rahat Indauri

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15 AUG 2021 AT 9:18

सिर्फ यही इक ख़्वाब मेरा हक़ीक़त बन जाये..
गर आज़ाद है देश, तो आबाद भी हो जाये...

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15 AUG 2021 AT 9:13

सिर्फ यही इक ख़्वाब मेरा हक़ीक़त बन जाये..
गर आज़ाद है देश, तो आबाद भी हो जाये...

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30 JUL 2021 AT 20:34

हद से ज़्यादा समझदारी गुनाह है। क्योंकि आप हमेशा औरों को समझते ही चले जाते हैं और दुनिया आपको बेवकूफ समझ कर समझौता एक्सप्रेस बना देती है।

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2 MAY 2020 AT 18:00

मरना लगा रहेगा यहां जी तो लीजिए
ऐसा भी क्या परहेज़, ज़रा सी तो लीजिए


ये रौशनी का दर्द, ये सिरहन, ये आरज़ू,
ये चीज़ ज़िन्दगी में नहीं थी तो लीजिए

-दुष्यंत कुमार

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1 MAY 2020 AT 20:16

अभी लड़ाई लम्बी है,
धैर्य ही ब्रह्मास्त्र है......

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30 APR 2020 AT 23:40

दुनिया मक्कारों से भरी पड़ी है ये तो सबको मालूम है....मलाल तो इस बात का है कि गलती से भी इस भरम को तोड़ता नहीं...

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23 APR 2020 AT 22:41

कुछ रीत जगत की ऐसी है, हर एक सुबह की शाम हुई ...
तू कौन है, तेरा नाम है क्या, सीता भी यहाँ बदनाम हुई...

#उत्तर रामायण

नारी जाति के विरुद्ध ऐसा संगठित षड्यन्त्र जहाँ हक़ मांगने पर वह खलनायिका और सर्वस्व बलिदान करने पर ही देवी के रूप में वह अमर बनायी मानी जाती है।

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20 APR 2020 AT 12:09

~कटु सत्य~

कर्म से बचने हेतु ओढ़ी गयी पाखंडी भक्ति से न तो राम बचा सकते हैं न ही कोई मैय्या..... इसलिए मुँह में चाहे छुरी रख लें पर ह्रदय में सदैव राम ही रखिये।

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17 APR 2020 AT 23:40

ज़िन्दगी की पहली शर्त है आजकल....

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