तेरी मोहब्बत का ऐसा मिला मुझे सिला
न तुझसे,न ही दुनिया से...है कोई गिला
प्रेम की शाखाएं फले - फूले सदा हमारी
चाहतों का चलता रहे...यूं ही सिलसिला
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बिंदास ओ बेबाक हंसी तैर आई है
जनाब जब - जब तेरी याद आई है
वो मिलने की सौगातें..रास आई हैं
महकती पुरवाई यूं तुझे पास लाई है-
धड़कते दिल-ओ-प्यार का एहसास दिखा दिया
दिल निकाल कर रख दिया, तेरे लिए यूं हाथों में
छूले मेरे एहसासात, गिन ले धड़कनों की रफ़्तार
मचलते हैं जज़्बात समाने को यूं हीं तेरी बाहों में-
हाँ...टूटा हूँ हरी शाख से मगर,वज़ूद न मिटने दूँगा
नवीन कोंपलें बन...नवजीवन होना अभी बाक़ी है-
मुस्कुराकर करुँ मैं तेरे लिए ही ये सोलह श्रृँगार मेरे सजना
है इल्तज़ा सजनी को दिल में अपने सदा ही बसाए रखना-
अब क्या ही करें भैय्या... जब दिल्ली की आब ओ हवा इतनी दमघोंटू है...दमघोटक है तो ....
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नैनों की भाषा समझ लो,अधरों की बोली
अधीर हैं कितने हम,जता दिया हमजोली-
मालकिन नौकर से -- काम के डर से दीवाली में तू छुट्टी लेकर भाग गया था... चल..चल...अब कहाँ भाग कर जाएगा..👇👇
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शिक्षा की महक...ज्ञान से सराबोर कर जाती है
तन-मन और आत्मा को तर-ब-तर कर जाती है-