इस पनपती धूप में ,
इन सागर की लेहेरों में
ढूँढ रही हूँ मै
अक्स तेरे होने का. ..
अभी भी हैँ इंतजार
तेरे आने का
भले बीते अरसे
यहीं पर. ...
पर ये प्यास
मिलने की
ना होगी कम. ...
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The journey of feelings = Reading is an abundant experience when you... read more
चाँद की बाहों में
झूकी पलके
और उन पलकोंमे सिमटे सें ख़्वाब
तेरे मेरे अपने
हमने
देखे थे कभी
उनके सहारे गुजर रही हैँ जिंदगी की शामे
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तुझं माझं आणि चहाचं
काय नात असाव. !
भिजलेल्या पावसाचं जस
धरतीवर प्रेम असावं.!-
आज जिंदगी से रूबरू होने का मौका मिला
सवाल पे सवाल ज़ब किये मैंने उसे
जवाब में सिर्फ काश मिला |
आज कल की कशमकाश में
मेरा जवाब उलज़ा हूँवा मिला |
मिन्नत कितनी की मैंने उसे मनाने की
पर उसका इरादा पक्का मिला |
चाहत हमें जिसकी थी तूने उसे छुवा नहीं
ये बदला लेकर क्या तुम्हे सुकून मिला |
ख्वाब हमारे थे कितने सारे
उन्हें जलाकर तुझे क्या मिला |
कोशिश हमारी थी जितने की
हर बार हराकर तुझे क्या मिला |
खरी खोटी मैंने भी सुनाई उसको
उसके आँखों से आँसू का सैलाभ मिला|
क्या! पूछूँ तुझे सवाल ए जिंदगी
मेरे हर सवाल में मुझे, और एक सवाल मिला | Savita BK
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ए जिंदगी !
रोज की दौड़ धूप में
सुकून की कमी हैँ यहाँ
क़ोई दवा हैँ तो बता
या तुझे भी तलाश हैँ
मेरी तरह ....
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फूल सा नाजूक दिल, काँटों पे डाल दिया
जुर्म क्या था हमारा, जो ये सिला दिया-
काश.!
ये सिंदूर सा लाल रंग
मेरे माथे पे सजता
पर
ये बेवफाई की आग हैँ
जलाना तो जाहिर हैँ जनाब |-
कहाँ खो गये हम
उनकी याद में, कितना रोये हम |
ज़ब गुफ्तगु ! उनसे होती थी
वो क्या. ! रात होती थी
चाँदनी जमीं पे आकर
मेरे दामन में सोती थी. .
चाँद सा हँसी चेहरा
फिर ! क्या खिलता था रूप गहरा
ठंडी पवन का झोका
लगता था दामन लहरा-
इस टीमटीमाती रात मैं,
जला रहा हूँ “मैं ”
खामोश.! सा. ...
रात कीं बाहो में
तन्हाई कीं आघोश में
ले रही अंगाड़ाईया
कुछ हिचकिया
गूंज उनके याद की
छेड रहे दिल के तार
शायद! !
नींद आँखोंसे उड़ा रहा क़ोई. ...
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