Savi   (Savi)
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Co-author, podcast ,
Joined 16 June 2017


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YESTERDAY AT 6:41

डर में जी रहा हूं
कहीं कोई खता ना हो जाए
जो खाता की थी पहले
वह जग जाहिर ना हो जाए
माना कि हम
कुछ ज्यादा शरीफ़ नहीं
दुनियां के आगे
हमारा चेहरा ना बदल जाए

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YESTERDAY AT 6:37

ਛੋਟੀ ਸਾਡੇ ਲੇਖਾਂ ਦੀ ਲਕੀਰ
ਸਾਡੇ ਤੋਂ ਦੂਰ ਖੜੀ ਹੈ ਤਕਦੀਰ
ਹੱਥ ਜੋੜ ਕੇ ਮਨਾਉਣ ਦਾ ਵਕ਼ਤ ਲੰਘ ਗਿਆ
ਹੁਣ ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਜਨਾਜ਼ੇ ਤੇ ਆਓ
ਸਾਡੇ ਲੇਖਾਂ ਦੀ ਹੀਰ

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24 APR AT 21:54

मुलाकात जरूरी तो थी
हमारे स्पनो में उनकी जरूरत तो थी
शायद हम ही दिल लगा बैठे
उन्हे लगता है, जिस्म से यादा
हमारी जरूरत ना थी

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24 APR AT 6:44

हमारी चाहते भी गलत थी
हमारे रास्ते भी गलत थे
जिस्मो के बाज़ार में हम
सच्ची आत्मा ढूंढने निकले थे
वह इरादे भी ग़लत थे

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23 APR AT 8:08

एक नज़र भर
देख लेने दे यार
न जाने कब
आंखों से ओझल
होने का वक्त आ जाए
अरमां तस्वीरों में ही
कैद रह जाए

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23 APR AT 7:55

आईने से
दोस्ती की मैंने
मुंह पर सच
बोल गया
दो चेहरों से
जिंदगी जीता हूं
मेरे सामने मेरा
राज़ खोल गया

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23 APR AT 7:49

खिदसे
क्योंकि मैं दुश्मन नहीं बनाए
खुद ही खुद का दुश्मन हुं
ना जाने कब खुद को
नुकसान पहुंचा दूं
यह भरोसा नहीं

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22 APR AT 15:05

जेबो में खंकते सिक्के
दुनियां को ग़ुलाम कर लेते हैं
हम हैं मुरिद मासूम चेहरों के
बस देख कर ही
दिल को शांत कर लेते हैं

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22 APR AT 6:33

मंजिल तो नज़र आती है
धूप की किरण सी
पर लाख कोशिश करने पर भी
हाथ नहीं आते
जब तक मालूम पड़ता है
हाथ कैसे आएगी
रात हो जाती है
और सिर्फ उड़ी ही
पास रह जाती है

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21 APR AT 6:46

अब तो डर भी गुज़र जाता है
पास से होकर
उसे भी मालूम है
हम रुकेंगे तभी
जब मंजिल आ जाएगी

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