मेरे साथ अक्सर ये होता है कि किस मॉल,दुकान या रेस्टोरेंट जाओ तो लोग मुझे वहां काम करने वाला समझ लेते हैं।पहले जब उम्र कम थी तो मुझे बहुत बुरा लगता था। बहुत गुस्सा आता था,अंदर एक inferiority complexity की आग दहकने लगती थी।लेकिन अब थोड़ा संभलता हूं और मुस्कुरा कर उनके ज़वाब देता हूं।और पूछ लेता हूं कि क्या चाहिए? अब सोचता हूं कि क्या हुआ लोगों ने मुझे उन जगहों पर काम करने वाला समझ लिया वो भी इंसान है जो अपना काम कर रहे हैं। लेकिन अंत में ये भी सोचने लगता हूं कि शायद मैं अच्छा नहीं दिख रहा था।थोड़ा confidence तो हिल ही जाता है।
इन सब बातों से ये भी पता चलता है कि आज भी cover का बुक से अधिक मायने हैं। मैं उन्हें कैसे बताऊं की मेरी qualification इंजीनियरिंग की है। मैं एक कवि हूं। मैं एक अध्यापक हूं।
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