सौरभ शर्मा   (सौरभ 'रामधुन')
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Joined 16 August 2018


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अंबेडकर तुम मुझे हारते हुए दिखते हो
तुमको मानने वाले तुम्हारी प्रतिमाएं गढ़ते हैं
तुम्हें पूजते हैं
तुम्हें ईश्वर मान बैठे हैं

तुम्हारे नाम का लोगो ने धर्म बना लिया है
जिस चीज़ के लिए तुम लड़ते रहे उम्र भर
लोग तुम्हें वही बनाते जा रहे हैं

अंबेडकर तुम एक रंग में सीमित हो चुके हो
नीले,गाढ़े नीले में
जब की तुम्हारी शिक्षा इंद्रधनुष जैसी थी
जिसे अनेक रंगों में विभक्त होना था

जहां से मैं देख रहा हूं
अंबेडकर तुम हार गए!

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दिन भर शादीशुदा जोड़ो की reel देख कर मेरा ध्यान भंग हो रहा है। मेरे भी शादी करने का मन बनने लगा है। इस माया कैसे बचा जाए?

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मैं सारी उम्र प्रेम की तलाश में रहा हूं मैंने उस हर एक दर पर खटखटाया जहां प्रेम मिल सकता था लेकिन हर बार लोगों ने खिड़की खोला लेकिन दरवाज़ा कभी किसी ने नहीं खिला। मैं चाहे जितनी कविता लिख लूं,कितना भी प्रेम को परिभाषित कर लूं लेकिन असल में प्रेम में मैंने हमेशा मात खाया है।

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कविता लिखने के क्रम में मुझे एहसास हो रहा है कि अब मुझे शायद भावनाएं कम समझ में आती है और शब्द अधिक।

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मेरे साथ अक्सर ये होता है कि किस मॉल,दुकान या रेस्टोरेंट जाओ तो लोग मुझे वहां काम करने वाला समझ लेते हैं।पहले जब उम्र कम थी तो मुझे बहुत बुरा लगता था। बहुत गुस्सा आता था,अंदर एक inferiority complexity की आग दहकने लगती थी।लेकिन अब थोड़ा संभलता हूं और मुस्कुरा कर उनके ज़वाब देता हूं।और पूछ लेता हूं कि क्या चाहिए? अब सोचता हूं कि क्या हुआ लोगों ने मुझे उन जगहों पर काम करने वाला समझ लिया वो भी इंसान है जो अपना काम कर रहे हैं। लेकिन अंत में ये भी सोचने लगता हूं कि शायद मैं अच्छा नहीं दिख रहा था।थोड़ा confidence तो हिल ही जाता है।

इन सब बातों से ये भी पता चलता है कि आज भी cover का बुक से अधिक मायने हैं। मैं उन्हें कैसे बताऊं की मेरी qualification इंजीनियरिंग की है। मैं एक कवि हूं। मैं एक अध्यापक हूं।

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कभी देखा है
भरी बाल्टी में चांद का अक्स?
तुम मेरी आंखों में वैसे ही झिलमिलाती हो

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I always think
I am in centre of every thing
Every one loves me
Every one hate me
Oh..f*ck
What kind of delusion I am in

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जब आदमी यह सोच कर ज़िंदगी जीने लगे कि किसी तरह सरवाइव करना है तो समझ जाना चाहिए ज़िंदगी नरक हो चुकी है.

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हम नहीं देते किसी को असफल होने का विकल्प
जबकि विकल्प में होते हैं
टूटना
बिखरना
हताशा
दुःख
अवसाद
यहां तक की वहां होता है
आत्महत्या का विकल्प भी
बस नहीं होता
असफल होने का विकल्प

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उस 1 अप्रैल का मुझे इंतज़ार है जब कोई आ कर कहेगा कि अभी तक आपको मूर्ख बनाया गया है।अब तक जो भी दुःख तुम्हें मिले हैं वो सब झूठ हैं।

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