तो पहले अपना नाम बता दूँ तुमको,
फिर चुपके-चुपके धाम बता दूँ तुमको;
तुम चौंक नहीं पड़ना, यदि धीमे-धीमे
मैं अपना कोई काम बता दूँ तुमको।
कुछ लोग भ्रांतिवश मुझे शांति कहते हैं,
नि:स्तब्ध बताते हैं, कुछ चुप रहते हैं;
मैं शांत नहीं नि:स्तब्ध नहीं, फिर क्या हूँ,
मैं मौन नहीं हूँ, मुझमें स्वर बहते हैं।
कभी-कभी कुछ मुझमें चल जाता है,
कभी-कभी कुछ मुझमें जल जाता है;
जो चलता है, वह शायद है मेंढक हो,
वह जुगनू है, जो तुमको छल जाता है।
मैं सन्नाटा हूँ, फिर भी बोल रहा हूँ,
मैं शांत बहुत हूँ, फिर भी डोल रहा हूँ;
यह ‘सर्-सर्’ यह ‘खड़-खड़’ सब मेरी है,
है यह रहस्य मैं इसको खोल रहा हूँ।
मैं सूने में रहता हूँ, ऐसा सूना,
जहाँ घास उगा रहता है ऊना;
और झाड़ कुछ इमली के, पीपल के,
अंधकार जिनसे होता है दूना।
तुम देख रहे हो मुझको, जहाँ खड़ा हूँ,
तुम देख रहे हो मुझको, जहाँ पड़ा हूँ;
मैं ऐसे ही खंडहर चुनता फिरता हूँ.
मैं ऐसी ही जगहों में पला, बढ़ा हूँ।
-
स्कूल से नोकरी तक के सफ़र में, एक कमाल की चीज़ सीखने मिली.
जब स्कूल में थे, स्कूल का बस्ता बहोत भारी लगता था.
हम सोचते थे की, कब नोकरी लगेगी और एक हलकासा बस्ता लेकर ऑफिस जाएंगे,
खूब मजे करेंगे जिंदगी में.
लेकिन...
आज जब से नोकरी में आये है तब से बस्ता तो बहोत हलका हौ लेकिन जिम्मेदारिया बहोत भारी हो गई है साहब...-
मैं दिसम्बर ...
तू जनवरी ...
रिश्ता काफी नजदीक का हमारा...
फिर भी दूरी साल भर की...-
"वो" सिर्फ दिखने में खूबसूरत नहीं है...
दिल से भी बेइंतहा खूबसूरत है...💝-
लिखा है राणा💝
प्रिय! लिखकर ....
नीचे लिख दु नाम तुम्हारा,
कुछ जगह बीच मे छोड़ ...
नीचे लिख दु सदा तुम्हारा!!
लिखा बीच मे क्या?
ये तुमको है पढ़ना ...
कागज पर मन की भाषा का
अर्थ है समझना !
जो भी अर्थ निकलोगी तुम
वो मुझको है स्वीकार...
झुके नैन...
मौन अधर...
या कोरा कागज,
❤️अर्थ सभी का प्यार❤️ ❤️अर्थ सभी का प्यार❤️-
Beautiful things in life can come,
only from your own labor.
The food is tasteless,
if someone else pays for it.
There is no beauty in clothes,
if they are bought at someone else's expense.
There is no joy on vacation,
if you don't deserve it for your work.
Yes, a career path is definitely difficult.
But at the same time,it's beautiful...
-
#Outoftrack but need to talkon...
70 to 80% शादिया पहले इस लिए चलती थी क्यों कि लड़कियां कुछ बोलती नही थी...
वो चुपचाप सहती रहती थी तो शादिया लंबी चलती थी
अब नही सहती वो...
तो मेरी नजर में अपने अस्तित्व एव आत्मसम्मान के लिए संघर्ष करना कोई समाज विघातक वर्तन नही है....-
लिखा है,
तलाशता हूँ मैं रेगजारो के बीच खोया वो नदी का रास्ता,
बचा है आँखों मे थोड़ा पानी सो कट रहा है हमारा रास्ता...
बहुत से पत्थर खुदा बने थे जो सोचते थे नही मिटेंगे, मगर वो कटते ही जा रहे है, न लिख पाये मेरे प्यार की दास्ता...
शदीद गम का है सियाह जंगल सूखा पड़ा सामने, भटक के जिसमें मैं खो गया था...
शदीद गम का है सियाह जंगल सूखा पड़ा सामने, भटक के जिसमें मैं.......
खो गया था...
जला के उसको तेरी मोहब्बत बना रही थी मेरी खुशी का रास्ता...
मेरी....खुशी का वो रास्ता...-
खुलने लगे हैं शहर,
आओ मुलाक़ाते करेंगे...
मोबाइल मत लाना साथ,
हम बातें करेंगे...-