26 MAR 2019 AT 15:23

घर का बड़ा बेटा
फिर भी उनके सोच में
21 की उम्र मेरी
मैं अब भी घर के बोझ में
तोड़ रहा हु रोटियां मुफ़्त की
मैं काम की तालाश में, शोहरत की खोज में
उठ रहा हु हर बार गिरके
आज में, कल में, मैं हर रोज़ में...

- Saurav