Saurav Kumar   (saurav-(sirf_kavita))
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Joined 31 May 2018


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Joined 31 May 2018
12 MAY AT 19:36

उम्र भर ग़ालिब बस यही भूल करता रहा ,
उसे पूछना नहीं आया , मैं बताने से डरता रहा ❤️

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11 MAY AT 12:02

''मजाक कर रहा था'' से पहले वाली बातें अक्सर बहोत सच्ची होती है !

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11 MAY AT 7:23

आजादी बहोत खूबसूरत थी, जब माँ के डर का जंजीर हुआ करता था
ले कर आँचल के दो रुपये , मैं कितना अमीर हुआ करता था !
छोटी सी गलती पे कितना मारा करती थी माँ
हमको पेट भर खिला थोडे में गुजारा करती थी माँ
हम भी उस जमाने के अमिताभ बच्चन लगते थे
अपने हातो से बाल सवारा करती थी माँ !

अता करे जो खुदा कभी, सलामत तेरी जा माँगूँगा
फिर से लिया जो जन्म कभी, सर्त तुझे ही माँ माँगूँगा ❤️

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8 MAY AT 20:27

लहजे में तहज़ीब ज़िंदा रखिए, तक़दीर आपकी ग़ुलाम होगी.
महज़ ख़ूबसूरती अक्सर बिस्तर का ग़ुलाम बनके रह जाती है !

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29 APR AT 22:32

क्या पता था की आगे कितना काम आयेगा ..
मजाक में रख लिया था हमने कुछ तस्वीर संजो के !

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22 APR AT 10:28

फिर छुपा लिए कुछ जज्बातों को उसने भी .
हमारा भी एक ख़त लिफ़ाफ़े में रह गया !

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5 APR AT 8:24

जी कलयुग अपने विनाश से गुजरेगा ..
जब प्रगति बेज़ुबाँ के लाश से गुजरेगा ..
मोटर गाड़ी में भर कर हवा बेची जाएगी
और वो सड़क जंगल के पास से गुजरेगा ! 💔

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26 MAR AT 18:41

और आज भी गणित हमे समझ नहीं आया ग़ालिब ..
दो से एक गया तो , आज भी शून्य ही बचा ! 0️⃣

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17 MAR AT 23:09

चक्कर हमने भी काटे थे मंदिरों के कभी ..
हर चौखट पे हमारी एक मन्नत गिरवी है ! ❤️

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13 MAR AT 12:35

तन्हा तो जमाने में बहोत है मगर ..
सहारा सिर्फ यहाँ खूबसूरतो को मिला !

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