तू सब कुछ तो नहीं पर कुछ तो है मेरा,
जैसे आंखों की नींद और उस पर सपनो का पहरा।
बिन तेरे क्यों लागू इतना अधूरा-अधूरा,
तू घुल जा मुझमें और कर दे मुझे पूरा-पूरा।
तू सब कुछ तो नहीं, पर बहुत कुछ है मेरा,
जैसे सर्दी का मौसम और उस पर कोहरा हो गहरा।-
Learner writer poet in-sane
~पतंग~
तू पतंग किसी और की,
में बंधी किसी और डोर से।
ख्वाब बस यही आता है मन में,
की टकरा जाऊं तुझ से किसी मोड़ पे।
बन फतिंगा ही सही,
मिल तो सकू तुझ से करीब से।
फस तेरी डोर से, सुलझा सकू सवाल कई
क्यों न मिला तू मुझे, क्या रह गई कमी मेरी उड़ान पे।
तू हो गई पतंग किसी और की,
और में बंध गई किसी और डोर से।।-
We avoid eyes contact
avoid the touch.
smile with closed lips
but talk with no huss.
mystery is all around it
and I am totally stuck.
So, tell me!
It's a shy or a yes?
Like a zing with no fuzz.-
~परिंदा~
मैं एक मासूम परिंदा हूं
आसमान की ऊंचाइयों से ऊंचा उठ,
इन हवाओं में तैरना चाहता हूं।
बेफिक्र झरनों की तरह ख्वाबों
को उछल छूना चाहता हूं।
पर हार सा गया हूं मैं,
अब बस ठहरना चाहता हूं।
मैं एक सहमा सा परिंदा हूं
इन काले अंधेरों से छुप
सुनहरी रोशनी में सिमट लेना चाहता हूं।
बागों के फूलों की तरह,
बैठ मुस्कुराना चाहता हूं।
मैं एक छोटा सा परिंदा हूं,
कभी कभी थक भी जाता हूं।
इस धुएं की चादर से बच
उड़ना दूर सही पर जीना तो चाहता हूं।
मैं एक मासूम परिंदा हूं
अब बस जीना चाहता हूं।।-
जिस्म से मजबूत ना सही, पर दिल में दम रखते हैं,
ईमान बहुत बड़ा है अपना, और ख्वाहिशें कम रखते हैं।-
तुझसे खिल तुझमें ही मिल जाना हैं,
एक फूल बागीचें का बोला मिट्टी से,
आज मौसम बड़ा सुहाना हैं।-