मैं नहीं चाहता कीइसी दर्द से मुझे "और" मारा जाएं।ये अगर नशा है,तो किसी तरह इसे "उतारा" जाए।वो सख्श और थाजिसे प्रेम में मर जाना था,मैं जीना चाहता हु,मुझे किसी हुनर से "संवारा" जाए। -
मैं नहीं चाहता कीइसी दर्द से मुझे "और" मारा जाएं।ये अगर नशा है,तो किसी तरह इसे "उतारा" जाए।वो सख्श और थाजिसे प्रेम में मर जाना था,मैं जीना चाहता हु,मुझे किसी हुनर से "संवारा" जाए।
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"आशा' और 'प्रतीक्षा' बस शाब्दिक प्रतीक हैपीड़ा तो उन दैनिक जीवन की आदतों में है जिनमें किसी की छाप रह जाती है। -
"आशा' और 'प्रतीक्षा' बस शाब्दिक प्रतीक हैपीड़ा तो उन दैनिक जीवन की आदतों में है जिनमें किसी की छाप रह जाती है।
When we should talk about global warming, we are talking about TalibanWe did it! Joe! -
When we should talk about global warming, we are talking about TalibanWe did it! Joe!
किसके लिए जागे रात भरक्यों अपनी नींद खराब करेकौन है जिसे हम याद करेकिसके लिए ये शाम हम ख़ाक करेक्यों जीएं इस उधेड़ बुन मेंक्यों गैर के लिए दफ़न जज़्बात करेकिसे रौशनी की परवाह है यहांकी खुद को जलाकर राख करे -
किसके लिए जागे रात भरक्यों अपनी नींद खराब करेकौन है जिसे हम याद करेकिसके लिए ये शाम हम ख़ाक करेक्यों जीएं इस उधेड़ बुन मेंक्यों गैर के लिए दफ़न जज़्बात करेकिसे रौशनी की परवाह है यहांकी खुद को जलाकर राख करे
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जख्मों से लबरेज़ हैमिरे मुहब्बत की संदूकअब और गमों कातलबगार नही मिरा दिल -
जख्मों से लबरेज़ हैमिरे मुहब्बत की संदूकअब और गमों कातलबगार नही मिरा दिल
बारिशों के बादटहनियों पर अटकी बूंद हो तुमऔर मैं सूखे रेगिस्तान से आयाखानाबदोस मुसाफिर -
बारिशों के बादटहनियों पर अटकी बूंद हो तुमऔर मैं सूखे रेगिस्तान से आयाखानाबदोस मुसाफिर
हम कहां तक रहते सफ़र के होकरइक पड़ाव पर आदमी थक ही जाता हैकब तलक बर्दास्त करते हम भी भलाजब आग में घी पड़े तो भड़क ही जाता है -
हम कहां तक रहते सफ़र के होकरइक पड़ाव पर आदमी थक ही जाता हैकब तलक बर्दास्त करते हम भी भलाजब आग में घी पड़े तो भड़क ही जाता है