चाहत तो तुम्हारी थी...
हम मिल जाए तुम्हे ये तुमने चाहा था,
हम बात करे तुमसे, ये चाहत तो तुम्हारी थी,
दोस्त तुमने बनाना चाहा था,
दोस्ती हम भी निभाए, ये चाहत तो तुम्हारी थी,
इश्क तुमने करना चाहा था,
मोहब्बत हमें भी हो जाए, ये चाहत तो तुम्हारी थी,
मनाना तुमने चाहा था,
रूठ हम जाया करे, ये चाहत तो तुम्हारी थी,
जवाब तुमने सारा देना चाहा था,
सवाल हम भी खूब करे, ये चाहत तो तुम्हारी थी,
फिर दिल कही और लगाना तुमने चाहा था,
छोड़ हम तुम्हे दे, ये भी तो चाहत तुम्हारी ही थी,
मेरी खुशी तुमने चाहा था,
मुझे खूब तकलीफ हो, ये भी तो तुमने ही चाहा था,
सब चाहते तो तुम्हारी ही थी, कभी हमसे तो पूछा ही नही की हमने क्या चाहा था,
तुम जो जैसे चाहते गए, वो ऐसे करते गए,
हम डूब के इश्क करते गए और फिर घुट घुट के मरते गए।-
Someone looking you from the sky..
जगह जगह नहीं
बस एक जगह दिल लगाया है,
जमाने ने हमें हर चौराहे पर आजमाया है,
हुस्न बेशक कम नहीं दुनिया में,
पर इन हुस्न वालों से ही हर दिल चोट खाया है।-
बुरे ना तुम थे ना हम थे,
बुरी तो कमबख्त ये तुम्हारी आदत थी,
बदलने से लगे थे हम,
हर जुबां पर बस यही बात थी।-
आज कल शाम वैसी नहीं बीत रही जैसी बीता करती थी,
आज कल बात वैसी नहीं हो रही जैसी हुआ करती थी,
इंतजार में उनके वक्त को भी रोक लेते हम,
लेकिन समय सही ना हो तो अपने मर्जी की हुआ नहीं करती।-
सितारों तक साथ चलना था,
किनारों तक का भी साथ ना रहा,
भीड़ में जो अपना सा लगा था,
पल भर के बाद वो भी पास ना रहा।-
गुजर जायेगा वक्त तो तुम याद करोगे,
ना होंगे हम जो पास तो किससे बात करोगे,
साथ तो निभाने को बहुत मिलेंगे सफर में,
बिना मतलब का जो साथ दे ऐसा शख्स कहां से ढूंढोगे,
हसीं में सब साथ है होते, आंसू जो आए तो क्या करोगे,
बिना तुम्हे बताए जो बहुत कुछ कर जाए, वो शख्स कहां से ढूंढोगे,
बीते जो पल साथ में वो किताब का खूबसूरत पन्ना था,
किताब भले पुरानी हो जाए, वो पन्ना संभाल के हम रखेंगे,
तुम कल भले पास ना रहो, हम पास अक्सर तुम्हे रखेंगे,
सफर कुछ पल का, सुकून उस पल का,
यादें तेरी और खुशी उम्र भर का-
कल तक जो हर बात में साथ होते थे,
आज वो बस बातों तक साथ रह गए है,
महसूस जिन्हे हर वक्त किया करते थे,
अब लगता है बस वो मेरे यादों तक रह गए है।-
कितने किताब पढ़े पर तुम सा कोई पन्ना नहीं,
तुम खास रही हो सबके लिए ये बात कभी भूलना नहीं,
उधार की जिंदगी है, जीनी उसी के साथ जिसके साथ लिखी है,
दिल दगाबाज होने लगे है, अब दिल की तुम सुनना नहीं।-
इज़हार-ए-इश्क़ करने को ये सात दिन काफ़ी नहीं,
तुम ऐसी मोहब्बत हो मेरी,
जिसे बयां करने को सात जनम चाहिए मुझे।— % &-
हम तेरे शहर के तो नही,
फिर भी अपना सा लगता है अब,
कुछ यूं हुए तेरे की...
अपना मोहल्ला भी परायों सा लगता है अब।— % &-