Saurabh Singh❣️  
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Joined 4 February 2020


Joined 4 February 2020
11 APR AT 15:37

मेरी शोहरत उसके नाम की लगती है
अब नाकाम मोहब्बत काम की लगती है
ईदें चाहे जिस के साथ गुज़ारे वो
मेहंदी आज भी मेरे नाम की लगती है

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26 MAR AT 16:18

आकाश रंग के हृदय में
जब यौवन उठा गुलाबी सा
तब प्रेम उगा नारंगी सा
और मौसम हुआ शराबी सा
तब क्या दिन थे, तब क्या शामें,
जो प्रिय तुम्हारे संग देखे
अब शब्द बनाकर लिखता हूं
जीवन में जो जो रंग देखे
जब छुआ तुम्हें तब लाल हुआ
जब दिखा करुण तब नीलापन,
फिर मिले तो सावन हरे हुए
जब था वियोग तो पीलापन
काली रातों में श्वेत चंद्र सी
धवल धवल लहराई तुम
मैं हूं कागज, कविताओं के,
शब्दों में गढ़ी कढ़ाई तुम
कत्थई आँखों के काजल से
सपनों के चित्र बनाये सब
हे प्रिय सुनो, इस जीवन में
ये रंग तुम्हीं से पाये सब

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6 MAR AT 18:59

जानती हो ! मैं तुम्हारे प्रेम में स्वयं को
उस बिंदु तक समर्पित कर देना चाहता हूं
जहाँ तुम्हारे लिए लिखे गए मेरे शब्द, बस शब्द ही नहीं रह जाएंगे
वरन.... सिंदूर हो जाएंगे

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13 FEB AT 19:19

जाओ कि अपने होंठ, किसी आँख पर रख दो
जाओ कि कोई, जलता दिया चूम के आना
वो हाथ झटक दे, तो उसे देखना भी मत
वो हाथ पकड़ ले, तो गला चूम के आना
Kiss Day 💋

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21 JAN AT 18:06

क्या बताएं दूर जाकर, भूल हमको जो गए
ज़िन्दगी भर हम उन्हीं की, याद में पागल रहे
वो हमें देकर गए, सौगात आंसू की मगर,
है दुआ फिर भी ,कि उनकी आंख में काजल रहे

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30 DEC 2023 AT 12:18

इस साल ये सीखा कि किसी चीज़ के पीछे सब कुछ छोड़ कर भागने पर भी वो चीज़ नहीं मिलती.. ज़िंदगी इच्छाओं का एक मायाजाल है.. इंसान अपनी इच्छाओं में ही उलझ कर रह जाता है.. और सालों कैसे निकल जाते हैं ये मालूम तब चलता है जब साल का अंत होने वाला होता है.. और पिछले पूरे साल कि झलक आपको वो सब सोचने पर मजबूर करती है जो आप नहीं चाहते सोचना.. पर आप जो चाहते हैं उससे किसी को फर्क नहीं पड़ता.. पूरी कायनात उसे आपसे बहुत दूर ले जाने में लग जाती है.. पर आप भी बेशर्म होकर उम्मीद नहीं छोड़ते.. दोबारा कोशिश करते हैं उस चीज़ को पाने के लिए.. पर अगर जो चीज़ किस्मत में ही न हो.. उसका मिलना केवल ख्वाबों तक ही सीमित हो.. तो फिर इस पूरे संघर्ष का क्या ही फायदा?

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19 NOV 2023 AT 21:58

चंद्रमा के जैसी तुम, मैं चाँदनी का विस्तार करूँ
इस जन्मदिवस पर प्रिये तुम्हे, भेंट मे क्या उपहार करूँ

चमचम जैसे मृदु अधरों पर, मनहरण कोई छंद रचूं
जो लगा केश पर मोगरा, क्या उसकी मैं सुगंध लिखूं
गर ये भी मैं न कर सकूँ, फिर तुम पर क्यों अधिकार करूँ
इस जन्मदिवस पर प्रिये तुम्हे, भेंट में क्या उपहार करूँ

नीरज के गीतों के जैसे, तुम पर कोई गीत कहूँ
हार गया है तन मन मेरा, मैं बस तुम्हारी जीत कहूँ
आभूषण तो मैं दे न सका, बस शब्दो को अलंकार करूँ
इस जन्मदिवस पर प्रिये तुम्हे, भेंट में क्या उपहार करूँ

शुचि जल से हैं भीगे नयना, अश्रु मोती मैं भेंट करूँ
कर धर कर तेरे कर में, मन अपना तुमको भेंट करूँ
गर ये भी मैं न कर सका, फिर तुम पर क्यों अधिकार करूँ
इस जन्मदिवस पर प्रिये तुम्हे, भेंट में क्या उपहार करूँ
इस जन्मदिवस पर प्रिये तुम्हे, भेंट में क्या उपहार करूँ

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1 NOV 2023 AT 20:24

मेरा मन बनो तुम और तुम्हारा मन बनूं मैं
ऐसे पूजूं तुम्हे और खुद नमन बनूं मैं
एक ही प्रार्थना है रब से मेरी,
हर जनम में मेरी तुम और तुम्हारा ही बनूं मैं 💕

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30 OCT 2023 AT 20:25

यही चमकते हुए पल धुआं-धुआं होंगे
यही चमकता हुआ दिल बुझा-बुझा होगा
आज जिन राहों पर लिख रहा हूं मैं अफसाने सुहाने
कल उन्ही राहों पर चल रहा कोई दूजा होगा

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14 SEP 2023 AT 22:40

तुम हिंदी की बिंदी की तरह,
सजाना मेरे जीवन को

मैं 'आ' की मात्रा सा तुम्हारे साथ खड़ा रहूंगा
तुम 'इ' की मात्रा सी शर्माती हुई,
मैं विस्मयादि बोधक-सा !

"ए जी" !! कहकर हुकुम सुनाना,
तुम हिंदी के अलंकारों सा प्यार जताना,
मैं हिंदी की उपमाओं से तुम्हारा दिल बहलाता रहूंगा

तुम्हारे लिए खूब उपहार लाता रहूंगा,
तुम चन्द्रबिन्दु से सपने सजाती रहना,

मैं ' ऐ' की मात्रा - सा,
तुम्हारे सिर पर ताज सजाता रहूंगा।

हिंदी जैसा है ये रिश्ता हमारा
इसे हमेशा दिल से निभाता रहूंगा

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