Saurabh Singh   (Alex)
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Joined 12 December 2019


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16 OCT AT 22:19

अभी क्या हुआ तुमको अभी तो बात सिर्फ आधी ही बताई है,
क्यों खो गए तुम सुनो तो पिक्चर अभी आधी ही दिखाई है,
राज जानते हो क्या मेरे चेहरा बदलने का ?
कोई देख न ले आंसू इसी लिए ही तो अब दाढ़ी बढ़ाई है !

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25 SEP AT 22:04

उसने पूछा सब लुट जाने पर सच बोलो कैसा लगता है ?

मै बोला पहले दर्द में मेरे दिन और रात गुजरते थे,
हंसते हंसते रो न दे हम इस बाते से भी हम डरते थे
अब रोज़ है जीते रोज़ है मरते, कभी सिर्फ तुम्ही पर मरते थे
सुनने से भी डर लगता है, पहले जो बाते करते थे

जिस्म तो है पर जान नहीं, न जाने क्यों ऐसा लगता है
अक्सर सब कह देते है मुझको, "क्या हंसने में पैसा लगता है",

क्या और सुनोगे क्या और सुनाए के तुम बिन अब कैसा लगता है !

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7 SEP AT 10:15

तुझे पाकर भी न पाने की इस कशमकश में कैसे रहे,
खुद से दूर जाते देख तुझे,क्यों बेबस से हम कैसे रहे,
समझ ही नहीं आते ये आते-जाते किस्से भी,
कभी लगता है सबको बताए कभी लगता है किसी से कहे ।

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5 AUG AT 8:29

"Patience is the key to joy"

सीख न पाया क्यों मैं उससे कैसे सहते जाना है ?

देखा मिट्टी के घर को बनाते उन छोटे कोमल हाथों को
उस घर में सबको रहना है मासूम सी ऐसी बातों को
मुझको थी जाने की जल्दी, जल्दी दफ्तर जाना है
खोने से सब डर लगता है जाने ही क्या पाना है ?

सीख न पाया क्यों मैं उससे कैसे सहते जाना है

पूरा दिन मेहनत करके एक छोटा सा मकान बना
गलियों से निकला हर इंसा उस घर का मेहमान बना
फिर आई कुछ ऐसी बारिश रिमझिम बादल बरसे थे
भूल गया घर की अपने और नाव बना चल फिर निकला

मैं क्यों फिक्रों में उलझा हूं, क्या मुश्किल खुश रह पाना है
उस बच्चे की खुशी वही उस नाव को बहता जाना है

"सीख न पाया क्यों में उससे कैसे सहते जाना है ?"

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12 APR AT 1:02

ये नींद कभी तो आएगी !

कब हमने ये सोचा था वो भी न साथ निभायेगी,
सब पर शक़ था पहले से, ये बाते सुनी सुनाई थी,
कभी असीमित चाहत थी, सब गुम-सुम सी हो जाएगी,

ये आस दिलो में बाकी है, ये नींद कभी तो आयेगी !

सब कल पर छोड़ा करते थे, और किसी से हम न डरते थे,
सबकी नजर में देखा है, जाने क्यों ईर्षा करते थे,

मुश्किल है संघर्ष मेरा अभी, अभी कठिनाई भी आएगी,
लेकिन फिर भी मुस्काता हूं, ये नींद कभी तो आयेगी

जब यादों में ही मिल पाऊंगा, बस किस्सौ में ही याद आऊंगा
तुलना में ले लोगे नाम मेरा, गलती का उदाहरण बन जाऊंगा,

जब उठने का समय न निश्चित होगा
तब हृदय न व्याकुल न चिंतित होगा,
तब व्यर्थ में अर्थ की चाहत नहीं
तब अपमानो से मन न कुंचित होगा,

इस सायं कल की है बस प्रतीक्षा, ये नींद कभी तो आएगी !!

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1 MAR AT 7:27

"अधूरे सवाल "

भगवान खोज रहे थे दर-बदर, तुमको मिल गए हैं क्या ??
जितने कर गए थे पाप अब तक, संगम में सब धूल गए हैं क्या ??
सिर्फ दिखावा, शोर शराबा, हम तो उससे बाहर है,
तुम भी तो कुछ उलझन में थे, उससे बाहर निकल गए हो क्या ??

कुछ तो बची अच्छाई थी, ये जीवन की सच्चाई थी,
हम तो बदल चुके ही थे, तुम भी बदल गए हो क्या ??

मासूम उदासी राते है, कोई पास नहीं कुछ कहने को ?,
आते आशु भी थमे हुए, बस ठंड हवा है बहने को,
बाहर से तो सख्त बहुत थे, अन्दर से पिघल गए हो क्या ??

ये रोज की आपा - ध्यापी में, संसार की भागा भागी में,
क्या सबको पीछे छोड़ दिया ?, क्या अपनो ने मुंह मोड़ लिया ??
क्यों फिक्र में हरदम रहते हो ??
क्या मां की फिर से याद आई ??
सब छोड़ के वापस जाने को
फिर दिल से मचल गए हो क्या ?

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1 MAR 2024 AT 1:34

हम कहां किसकी कब मानते है, पर वो पापा है जो सब जानते है ।

जब हम जीवन मे थोड़ा सा भी खुद से आगे बड़ जाते है,
खुद को समझदार उनको नासमझ बोल कर लड़ जाते है,
जब जब ठोकर लगती है तो वो ही संभालते है.....
वो पापा है जो सब जानते है

हर दिन हर पल नई नई बीमारियों के दर्द में तड़पते ही रहते,
खुद को परवाह करते नही, तू ठीक है ना बस यही कहते,
खुद रहे जिम्मेदारियों में हमें हर प्रॉब्लम से निकलते है
वो पापा है जो वो सब जानते है,

कोई रोज सुबह उठा कर हाल पूछता ही नहीं,
क्या करू क्या नही कुछ सूझता ही नहीं,
उनके बिना हम अब कुछ सोच नहीं पा रहे है
वो हमे हर पल बहुत ज्यादा याद आ रहे है

उनकी यादों को हर रात पुरानी बातो में छानते हैं
वो पापा है जो वो सब जानते हैं ।

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11 DEC 2022 AT 7:16

अभी कैसे कह दे के क्या है ईरादा,
अभी न तुम कम हो, अभी मैं न ज्यादा,
करे कौन परवाह, ये किसको फिकर है,
"सफ़र खूबसूरत है मंज़िल से ज्यादा"

सफ़र मुबारक हो

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29 APR 2022 AT 19:27

"इतना आसान भी नहीं है मैं ठीक हूं बताना,
इतना आसान नहीं सबको सब समझाना ।"

हर पल कशमकश की दौड़े बनी रहती,
कठनाई राहों के रोड़े बनी रहती है,
आसान है ओंठो से बस हल्का सा मुस्कुराना,
इतना आसान नहीं होता सबको सब समझाना ।

दिल में कल की यादें घर करती जाती है,
दूरियां खुद से खुद की यूंही बढ़ती जाती है,
सब पाने के बाद भी मुश्किल है खुद में खुद को पाना,
इतना भी आसान नही होता सबको सब समझाना l

आज हूं सामने तो पूछ लेना कोई बात है क्या,
जिम्मेदार हूं मैं खुद या कुसुरवार हालत है क्या,
आंखो में जो दिख रहे कैसे ये जज़्बात है क्या,
बैठ लेना एक शाम, होती नही रोज मुलाकात है क्या ।

आ गई है वो अदा के कैसे बातो को दिल में छिपाना,
इतना आसान नही होता सबको सब कुछ समझाना ।

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22 AUG 2021 AT 3:05

कभी संग साथ चले थे, देखो अब दो गज की दूरी है
सावधानी पूरी बरती सबने अब वैक्सीन भी जरूरी है

डर तब तो दिल में था, जब तक आई कोई दवाई नही
बहुत कर ली मन की, अब करनी बिल्कुल ढिलाई नही
जितना लगता है तुमको, आसान उतनी ये लड़ाई नही
मेरी गुज़ारिश है ये उनसे, जिन्होंने वैक्सीन लगवाई नही

चाहे मन को मना लो खुद से, चाहे मान लो मजबूरी है,
सावधानी पूरी बरती सबने अब वैक्सीन भी जरूरी है,

न जाने क्यों डरें हैं आप क्यों बहकावे में आ रहे है,
बिलकुल स्वस्थ है वो सब जो वैक्सीन लगवा रहे है
सब को है आपकी चिंता इस लिए हर बार बता रहे है
आप न जाने बचने को क्या क्या बहाने बना रहे है ।

खुद का फैसला करने को माना, तुमको आजादी पूरी है,
खुद की जान जोखिम में न डालो, अब वैक्सीन भी जरूरी है ।

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