Saurabh Shukla   (कवि सौरभ शुक्ला)
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Joined 26 August 2017


Joined 26 August 2017
15 FEB 2023 AT 20:40

हँसते चेहरे के पीछे दुःख लेकर एक दिन मर जाऊँगा,
टूट चुका हूँ अन्दर ही अन्दर शायद मैं अब न जी पाऊँगा।

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24 SEP 2022 AT 8:22


बीत जाते हैं जो वक्त की गोद में,
लौटकर फिर सफर वो आते नहीं,
आईने ही बताते हैं चेहरे की झुर्रियां,
उम्र ढलने लगा है ये लोग मानते ही नहीं।
✍️कवि सौरभ शुक्ल






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18 SEP 2022 AT 19:55

"तीन पीढ़ियों में यदि दूसरी पीढ़ी पहली पीढ़ी का सम्मान नहीं कर सकती, तो उसे यह उम्मीद बिल्कुल नहीं रखनी चाहिए कि तीसरी पीढ़ी उस दूसरी पीढ़ी का कभी सम्मान करेगी।"
✍️ कवि सौरभ शुक्ल







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3 AUG 2022 AT 15:11




दिल से उतरे तो फिर से दिल में नहीं आए,
महज़ नज़र में रहे वो लोग नफ़रतों के लिए।
✍️कवि सौरभ शुक्ल








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29 JUL 2022 AT 0:37

कौन हूँ मैं मुझको,
बताया था माँ ने,
भाषा का पहला अक्षर,
सिखाया था माँ ने,
कभी जब मैं रोता था,
अचानक से यूँ ही,
थपकियां दे- देकर,
सुलाया था माँ ने,
उसकी हर डांट हर बोलियाँ,
अब सुनाई नहीं दे रही,
रात-दिन स्मृति है हृदय में,
पर वो घर में दिखाई नहीं दे रहीं,
सब कुछ है आज मगर,
कहीं तो कुछ गुम सा है,
लगता है हर एक क्षण कि
हजारों खुशियों में गम सा है,
जो कभी पूरी नहीं होगी,
वो रिक्तता हो गई है घर में,
जिसको भर न सकेगी दीया,
मैं दिखाऊं किसे सिसकियां,
बहुत याद आती है माँ,
बहुत याद आती है माँ,
✍️कवि सौरभ शुक्ल


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26 JUL 2022 AT 19:39

सुनों जो भी कहता हूँ मेरी सुनों तुम,
कभी भीड़ में जब मिलोगे कहीं तुम,
किसी सुर्ख से सांझ के डूबते बांह में,
चाँद के अंजुमन की नशीली सी राह में,
जो देखोगो मुझको तो पहचान लोगे,
पुकारोगे मुझको क्या मेरा नाम लोगे,
तुम्हारे लिए जो भी बोला था मैंने,
वो नुकीले से लहज़े में कड़वी सी बातें,
कहीं दिल पर लोगे, दगा तो न दोगे,
अधूरे सफर में मुझको भुला तो न दोगे,
वो खामोश मन्जर वो आँखों का खंजर,
वो दिल का समन्दर बहा तो न दोगे,
वो कड़वी सी बांते वो मीठी सी यादें,
यार! वो लहजा पुराना भुला तो न दोगे।
✍️ कवि सौरभ शुक्ल





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22 JUN 2022 AT 20:10



तुम्हारी महफिलों में मेरी तस्वीरें मेरे पुतले इस कदर जलाये गए थे,

इतने भी बुरे नहीं थे हम जितना तुम्हारे हर एक लहज़े में बताये गए थे।
✍️कवि सौरभ शुक्ल










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28 MAY 2022 AT 21:44

चलते-फिरते तुम्हें अजीबोगरीब वेश दिखायेंगे,
कभी मिलना मुझसे तुम्हें उत्तर प्रदेश दिखायेंगे,

इनके शौक का न पूछो हर गली बस बकैती है,
बातों में कैसे चलती है गोली ऐसा परिवेश दिखायेंगे।
✍️कवि सौरभ शुक्ल





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22 MAY 2022 AT 21:32

जख्म आबाद कर लूँ तुम्हारे बिना,
खुद को नाशाद कर लूँ तुम्हारे बिना,
ये कभी न हुआ और न होगा कभी,
खुद को बर्बाद कर लूँ तुम्हारे बिना।

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17 APR 2022 AT 22:40

गहराई से समझोगे तो जानोगे,
मैं सड़कों का कचरा नहीं समन्दर हूँ।
✍️सौरभ शुक्ला












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