Saurabh Sharma   ("सौरभ शर्मा")
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Believe in Stability😊
Joined 3 April 2019


Believe in Stability😊
Joined 3 April 2019
31 DEC 2023 AT 18:13

बहुत कुछ सहज के रखा था मैंने तेरे लिए
पर तेरा मन बदल गया अब मेरे लिए

देखे है मैंने बदलते हुए मौसम भी
पर ना जाने क्यों बदल गया तू भी 

समय बदलता है बदलते है साल भी
पर देख लिया मैंने बदलते हुए इंसान भी

फिर आ रहा एक और साल भी

बहुत कुछ अब भी बाकि है तेरे लिए
पर क्या तू फिर बदलेगा अब मेरे लिए
😊

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25 FEB 2022 AT 14:21

छलनी हो गए शब्दों से इतना
कि गोलियों की जरूरत ही नही हैं

जी हां हम अभी भी
घर पर ही रह रहे हैं
😊

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5 FEB 2022 AT 18:33

दर्द वो नही जो चोट लगने से मिला हो
दर्द वो है जो अपनो से मिला हो
फिर वो अपने ही क्या जिन से दर्द मिला हो

दर्द वो नही जो शरीर को मिला हो
दर्द वो है जो रूह को मिला हो
फिर वो रूह ही क्या जिसे दर्द ही दर्द मिला हो

रिश्ते कैसे भी हो यंहा, किसी को नही परवाह
बस पिसते रहना है यंहा, जब तक शरीर है जिंदा

रूह भी हो जायेगी एक दिन फ़ना, जब ख़ुदा करेगा परवाह
फिर क्या शरीर, क्या रिश्ते और क्या दर्द जब रूह ही हो जायेगी फ़ना
😊— % &

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26 AUG 2021 AT 22:29

मुसाफ़िर हैं

तेरी भी इक राह हैं
हमारी भी इक राह हैं

ये बात ओर हैं
राह में हमारी तकरार हैं

पथ पर तेरे
सपनो का संसार हैं

एक हो जाये रास्ते हमारे
इसके कम ही आसार हैं
😊

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12 AUG 2021 AT 22:38

कुछ ऐसा कर जाऊंगा
अचंभित कर जाऊंगा

किताब की कहानी नहीं ये
जिंदगी की दास्ताँ हैं

समझ में नही आया हूँ अभी तक
समझ में भी नही आऊंगा
😊

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10 JUL 2021 AT 23:27

"इच्छाएं" कभी ना ख़त्म होने वाली

मेरी नही
मेरे अपनो की

मेरे द्वारा हमेशा पूरी करने वाली


"उम्मीदें" कभी ना टूटने वाली

मुझ से
मेरे अपनो की

मेरे द्वारा हमेशा पूरी करने वाली
😊

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2 MAY 2021 AT 23:25

जब कुछ ना बचा हो किसी रिश्ते में

तब बहुत कुछ बचता है
ख़ुद को समेटने के लिये

और फिर से ख़ुद को
उठ खड़ा करने के लिये
😊

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30 APR 2021 AT 20:50

उफ़
ये मेरे शहर की आबोहवा
और
दूर गांव से आये कुछ लोग

समझ ही नही पाते इसे
और
खो से जाते है इसमें कंही
उफ़
ये मेरे शहर की आबोहवा
😊

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15 MAR 2021 AT 21:08

समंदर सा शांत हूँ मैं
किनारे सा व्यस्त है तू

आकर पास तेरे किसी लहर के साथ
मिल लेता हूँ तुझ से

हो जा तू भी
किसी नदी की तरह

जो मिलती है
समंदर से पूरी तरह
😊

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10 MAR 2021 AT 13:57

इश्क़ ढूंढे नही मिलता
कोई तुमसा नही मिलता
क्या करे "सौरभ"

दर-दर भटके हैं
कोई मुझसा नही मिलता
क्या करे "सौरभ"
😊

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