दर्द वो नही जो चोट लगने से मिला हो
दर्द वो है जो अपनो से मिला हो
फिर वो अपने ही क्या जिन से दर्द मिला हो
दर्द वो नही जो शरीर को मिला हो
दर्द वो है जो रूह को मिला हो
फिर वो रूह ही क्या जिसे दर्द ही दर्द मिला हो
रिश्ते कैसे भी हो यंहा, किसी को नही परवाह
बस पिसते रहना है यंहा, जब तक शरीर है जिंदा
रूह भी हो जायेगी एक दिन फ़ना, जब ख़ुदा करेगा परवाह
फिर क्या शरीर, क्या रिश्ते और क्या दर्द जब रूह ही हो जायेगी फ़ना
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