भोर की पहली किरण से, पहले आकर जो जगाती। साथ सरगम छेड़ कर जो, मधुर जीवन गीत गाती। मोगरा मन सघन वन की, महक मादक घोल जाती। प्रथम स्वाति बूँद पाकर, मुक्त जल, मुक्ता बनाती। है विविध आकार लेकिन, साकार, एकाकार मुझमें, मौन, एकाकी शिखर पर, बो गई वह प्यार मुझमें।।
चाँद लुटाए विमल चाँदनी, गाए सोहर, बजे रागिनी। खुशियों का साम्राज्य सकल है, नव ऊर्जा, उत्साह प्रबल है। मिटे निराशा, आश जगे फिर, भारत का विश्वास जगे फिर। अब तो सुप्त 'सतर्ष' जगो रे! आया है नव वर्ष जगो रे!! आया है नव वर्ष जगो रे!!
कलकल सरिता बहती जाए, यश की गाथा कहती जाए। अम्बर से नित अमृत बरसे, नहि कोऊ मेघन को तरसे। गूँजे गीत कहाँ किस ठौर, चलो चले 'मन' गाँव की ओर। डूब प्रेम में, प्रेम पगो रे! आया है नव वर्ष जगो रे!! आया है नव वर्ष जगो रे!!
आंगन में नव पुष्प खिले है, भ्रमर-कुसुम आ गले मिले है। बगियन में कोयल कूक भरे, बिरहिन की अधूरी हूक टरे। तन-मन चंदन सा महक उठे, खग-दल सहसा चहक उठे। सघन शयन से सहर्ष उठो रे! आया है नव वर्ष जगो रे!! आया है नव वर्ष जगो रे!!