इतने मतलबी हैं लोग जमाने के
जरूरत पड़ने पर बात करते हैं-
2- शौक लिखने का है अभी तो लिखे जा रहा हूँ
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आज तू फिर से याद आया
फिर हमने दिल को समझाया
हिचकियाँ आती तो हैं रोज
मगर कहाँ तेरा फोन आया-
बहुत याद आते हो यार तुम
मैं रह नही पाता हूँ बिन मिले
तुमसे, जब भी मिलने आओ
अपनी कोई निशानी लेके आना-
राधे तुम्हारे जैसा प्रेम चाहती हूँ
वही नटखट वही साँवला सा
एक अधूरा घनश्याम चाहती हूँ
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राधे तुम्हारे जैसा प्रेम चाहती हूँ
वही नटखट वही साँवला सा
एक अधूरा घनश्याम चाहती हूँ
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जाने कितनों की नज़रों में खटक रहा हूँ
मैं अपने रास्ते से भी अब भटक रहा हूँ-
धीरे धीरे भुला रहा हूँ सारे रिश्तों को
कोई याद आ भी जाए तो अगर..
अपने होने का एहसास मत दिलाना
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मुझे मुझ से एक बार मिला के जाता
मेरा मेरे बारे में कुछ तो बता के जाता
हर एक दर से खाली हाथ लौटा हूँ मैं
वजह क्या थी ऐसी आईना दिखा के जाता
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तेरा ही दिया है सब तेरा ही होके रह जाना है
मैं लाया ही क्या था बता जो मुझे लेके जाना है-
सारी अला बलाएं बद्दुआएँ उतार देती हैं माँ
हर एक कष्ट का निवारण कर देती हैं माँ
माँ तो, माँ होती हैं माँ सा कोई नही होता
भरे पेट पे भी अपना निवाला खिलादेती हैं माँ-