4 JUL 2017 AT 18:39

कॉपी किताबों के पन्ने
वो हल्की नावें, शोर मचाती टन भर संवेदनाएं
बेडौल बंदरगाह, हीरों से कम न थे पन्ने
छोटी उंगलियाँ साधती बड़ी बड़ी नावें।
प्यारा झगड़ा
तेरी नही, मेरी नाव दूर तक जायेगी
बाल काया में
कुलाचें लेता नादान मन
छावनी में बैठा बैठा
दूर दोस्त से मिल आता बालमन ।
आंगन में जहाजों की बेड़ियाँ
टप-टप बूंदों की खरबों रैलियां
केंचुओं की तैयार की पगडंडियाँ
घर बदलती चीटियाँ और उनकी सहेलियाँ।
बचपन का आखिरी पड़ाव वो पहली बारिश
कुछ याद आता है,
दीदी से कहा था
पापा को न बोलना
बस एक और पन्ना
बस एक और नाव...

- Saurabh R Rajpoot