Before giving respect, just figure out once; whether the person deserves it!
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Saurabh Parcha
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Joined 21 March 2018
15 FEB 2022 AT 23:42
3 FEB 2021 AT 21:42
उतरता है बुखार उनका आहिस्ता-आहिस्ता
जो मरीज़-ए मोहोब्बत होते हैं।-
12 JAN 2021 AT 10:38
होते तुम जो पास ओढ़ लेते तुम्हे,
ये सर्द हवाएं रात भर सोने नही देती।-
9 JUN 2020 AT 23:23
हसरत खुली आँखों की अक्सर बंद आंखों में पूरी हुई
कुछ अधूरी ख्वाहिशें यूँही सपनों में पूरी हुई-
15 MAY 2020 AT 13:28
आत्मनिर्भर ही तो था वो गरीब मज़दूर जो स्वाभिमान की 2 रोटी खाया करता था साहब!
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10 MAY 2020 AT 12:50
तुझसे ही तो हूँ मैं
मेरा हर दिन तुझसे ही है
और हर दिन तेरा ही है माँ-
1 MAY 2020 AT 22:12
वो दो रोटी स्वाभिमान की खाता है,
वो गरीब मज़दूर है साहब वो ही देश चलाता है।-