saurabh makwana   (सौरभ "शिवम")
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Joined 7 November 2020


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13 FEB AT 22:35

पा ली दुनियाँ की
शोहरत,
हुआ क्या......
मिल गई दुनियाँ की
दौलत
मिला क्या.........
कर ली दुनियाँ हासिल
कुछ हुआ क्या......

जब आया पल
जाने का
बोलो
कुछ सोचा क्या........
बोलो
कुछ हुआ क्या................
चलो अब
आगे क्या.............?

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11 FEB AT 21:09

वास्तविकता
सरल या क्रूर
कोई जान नही
पाया।
जिसने समझा
शून्य बन कर
पाया
यथार्थ को सरल ,सहज
जिसने समझा
माया में उलझ कर
पाया यथार्थ को
क्रूर,निर्दय......

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23 AUG 2024 AT 10:49

बारिश के इस दौर में भी ,
बेहद उदास क्यों हूँ मै,
रिमझिम सुहानी रात में भी,
नासाज क्यों हूँ मैं,
तुम्ही बताओ अब मर्ज
मेरी खराब तबियत का,
इस रँगीन दुनियाँ के दौर में भी,
बेहद सुर्ख क्यों हूँ मैं।

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16 AUG 2024 AT 16:17

ख़्वाब सब बदतर है,
और आंखें तर बतर है।
ज़िन्दगी में रोज मर कर,
जी रहे इस कदर है।

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14 JUN 2024 AT 12:40

दर्द जो पिछले थे,
कुछ नही थे।
दर्द जो अब है ,
वो कुछ है।
दर्द जो मिलेंगे,
तैयार रहेंगे।

लेकिन अंत में
हम कुछ अलग निखरेंगें।।।

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9 MAR 2024 AT 15:52

होने दो अब जो भी होता है
मिलता है अगर गम तो ये भी मज़ा है।
तलब दिल की खत्म हो चुकी है अब,
अब इसी में तो ज़िन्दगी का मज़ा है।

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8 MAR 2024 AT 8:41

महाशिवरात्रि रात्रि के इस पावन पर्व पर सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

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14 FEB 2024 AT 13:28

राहे जुदा जुदा रही,
तुम बस ख्वाब तक रही।
हर इक मोड़ पर रुका,
तुम बस राह तक चली।

जाने कैसी ये तलब थी मुझे
तुम्हे पाने की
हर इक राह में
साथ चलने की।
अब फ़क़त ये ही सोचता हूँ
क्या सोचूँ,
क्या रुकूँ,क्या चलूँ, ज़िन्दगी ढलती रही।

तुम बस ख़्वाब तक रही
तुम बस ख़्वाब तक रही।

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31 DEC 2023 AT 7:23

ख्यालों में बसे हुए तेरे चेहरे को
उकेर लेता हूँ कागज पर,
तेरी स्याह जुल्फों के घेरे को,
सजा देता हूँ कागज पर,
इक उम्र से जो दिखी नही
आहट तुम्हारे आने की,
बस इसी बेचैनी में
अश्क उतार देता हूँ कागज पर।।।।।।।।

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14 OCT 2023 AT 8:37

नींद क्या है,
हमसे ना पूछो।
ख़्वाब क्या है,
ये भी ना पूछो।
टकटकी लगाए आसमाँ की और
गुजरती है रात हमारी,
तपिश ज़िन्दगी की आँखों की और
से निकलती है हमारी,
सुख क्या है,
हमसे ना पूछो।
जीना कैसे है,
ये भी ना पूछो।

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