माना जिसे चाहा उसे गबारा नहीं हुँ मैं ।
पर ऐ ज़िंदगी जितना समझ रहा है उतना अवारा नही हुं मै।-
माना मतलबी बेहिसाब हैं इस शहर मे ।
पर कुछ तो ख़ास इस शहर मे ।
ऐ शहर के बिना मेरा दिल नहीं लगता।
क्यूंकि यार 'मेरी जान' है इस शहर मे ।-
ऐ खुदा तुम इतना जो दुख दे रहे हो।
इसका ब्याज भी लोगे या मुफ्त दे रहे हो।
जो भी दे रहे हो तुम वो बेसक बुरा है।
पर इंसान को पहचानने का तुम कला दे रहे हो।-
आया था तेरी गलियों में कुछ तो बात रह गई।
कुछ तो छुट रहा था सायद तुझसे मुलाकात रह गई।-
काश वो भी समझ लेती मेरे हर बात को।
दिल की कलम से लिखी मेरे हर जज्बात को।
उसे देखते हीं मेरे चेहरे पे वो चमक को ।
काश वो पढ़ लेती मेरे धड़कन से निकली हर वो गजल को ।
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आपकी आंखें कभी नम न हो।
आपके जिंदगी में कोई गम न हो।
ये नया साल इतनी खुशीयां दे आपको।
की जश्न होते रहे अपके ज़िन्दगी मे।
पर खुशीयां कभी कम ना हो।-
आपकी होठों पे मुस्कान दिखे।
चेहरे पे हो हर्ष।
आपकी हर इच्छाएं पूरी हो।
कुछ ऐसा हो ये नया वर्ष।-
हमारा देश बर्बाद हो रहा है
जिस देश को हम भारत माता कहते है।
उस देश मे माँ - बेटियों पर हीं दुराचार हो रहा है।
जहाँ बेटियों को देवी समझकर पूजा जाता था।
आज वहाँ बेटियों से हीं बलात्कार हो रहा है।
सच मे हमारा देश बर्बाद हो रहा है।
प्रशासन नपुंसक बनी बैठी है।
और अपराधी सीना ताने बाज़ार घूम रहा है।
जहां बलात्कार पर कोई शोर नहीं।
और चुनाव का जोर शोर से प्रचार हो रहा है।
सच मे हमारा देश बर्बाद हो रहा है।
देश के बाहर हमारा उपकार और
देश मे हीं इज़्ज़त तार तार हो रहा है।
यहां लडकियों का शोषण एक बार नहीं
बार बार हो रहा है।
सच मे हमारा देश बर्बाद हो रहा है-
Ham engineers har chiz me bajah dundhte hain
jo mil naa sake wo fatah dhundhte hain
Jahan jana mumkin nhi ho hmara
Aisi kon si jagah hai wo jagah dhundte hain
Agar koi kre khata hamse
to usme bhi ham wafa dhundte hai
Ham enginineers har chiz me bajah dundhte hain
Jo mil na ske wo fatah dhundhte hain
Bahut bhid hai uske dilon me to bas
fit hone bhar ki jagah dhundhte hain
Kahin bhi mile bas ek satah dhundhte hain
Ham engineers.........................
Jo mil na sake............................
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मंदी चल रही है चारो ओर
बिकाऊ बाज़ार हो गए हैं
इस जमाने ने तो हद कर दी।
यहां मुखौटे वाले चेहरे हीं हज़ार हो गए हैं-