Saurabh Kumar   (Kumar saurabh)
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Joined 20 September 2017


Joined 20 September 2017
27 SEP 2019 AT 8:34

खुद को गुमनाम कर रही हो ना,
हमे परेशान कर रही हो ना ।
हमे डुबो कर अपने आंखों के नशे में,
कहीं और अब आंखें चार कर रही हो ना ।
छुप छुप कर की गई बातों को,
अब तुम सरेआम कर रही हो ना ।
न जाने कितनी दफा साथ रहने का वादा कर के,
उन सारे वादों का तुम अब कत्लेआम कर रही हो ना ‌।
खुद को मुझ से जुदा कर के,
अब किसी और को गुमराह कर रही हो ना ।
भरी महफ़िल मे मुझे दगाबाज बता कर,
हमारी मोहब्बत को शर्मसार कर रही हो ना ।

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16 JUN 2019 AT 10:25

पिता उंगली पकड़े बच्चे का सहारा है,
बच्चे को जिताने के लिए हर बार उससे हारा है ।
पिता इस नन्हे बच्चे का पूरा आसमान है,
पिता है तो बच्चे का सारी खिलौनों की दुकान है ।
पिता अपनी जरूरतों को छोड़कर,
बच्चे की ख्वाहिश पूरी करता है ।
पिता खुद गर्मी मे तपकर,
परिवार को ठंडी छांव मे रखता है ।
पिता का सर पे हाथ ही सफलता का आधार है,
पिता नही है तो फिर पूरा बचपन निराधार है ।
अगर जीवन मे पिता से बड़ा अपना नाम करो,
तब भी उनका अपमान नही, हमेशा सम्मान करो ।

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8 APR 2019 AT 1:20

चलो न फिर से पहले वाला इतवार मनाते है,
चाय बनाते है और घंटो बतियाते है ।

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21 MAR 2019 AT 9:48

मोहब्बत की गुलाल से रंग दो नफरत की इस फिजा को ।
होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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7 FEB 2019 AT 2:08

तू मौजूद है हर जिक्र मे मेरे,
मै लापता हू महफिलों से तेरी ।

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7 SEP 2018 AT 21:30

हंसी के ठहाके तो कच्चे घरों मे छोड़ आये हम,

इन पक्के मकानों मे तो रिवाज़ सिर्फ मुस्कराने का है ।

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24 JUL 2018 AT 1:04

दामन साफ रखने की फिक्र पहले हुआ करती थी,
आजकल तो लोगों को दामन पे दाग अच्छे लगते है ।

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6 JUL 2018 AT 4:09

इश्क मुक़म्मल उनका भी जो ताजमहल बनवाने वाले,
इश्क मुक़म्मल उनका भी जो चाँद तारे तोड़ लाने वाले,
इश्क मुक़म्मल उनका भी जो मजनू बन जाने वाले,
इश्क मुक़म्मल उनका भी जो परवाने की तरह जल जाने वाले ।

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17 JUN 2018 AT 15:52

जिसके कंधे पे बैठ के दुनिया देखी,

अब दुनिया को उसके बारे मे लफ्जों से क्या बयां करू।



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5 JUN 2018 AT 3:44

कामयाबी तेरे लिये मैने खुद को कुछ यूँ तैयार कर लिया,

अपने सारे ख्वाहिशों को बाजार मे रख कर निलाम कर दिया ।

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