हर शख्स उदास है यहां ,सबके मन में सवाल है कोई महबूब से रूठा है तो किसी को अपनो का ख्याल है मुठ्ठी में रेत सी फिसलती जा रही है ज़िंदगी खुशियां मांगो तो घट जाती है ,ऐसा मायाजाल है मैं ये गजल लिख रहा हूं ,ये भी एक दर्द है किसी के छोड़ जाने का मुझको भी मलाल है!
एक खलिश है दिल में जो मुझे सोने नहीं देती एक तेरी याद है जो किसी का होने नहीं देती एक सदमा है जो मन से अभी तक गया नहीं एक टीस हैं जो आंखे भिगोने नहीं देती!
अब सुनी हैं आंखे तो हमे ख्वाब दिखाया जाता है अब जो सच को जान गया तब समझाया जाता हैं एक मुख्तसर गलती की इतनी बड़ी सजा सौरभ हमे हर दिन कोषा जाता हैं ,हर रोज सताया जाता है
पहली तारीख को मिल के जो भी मिल जाता है आज पच्चीस को भी उसी का सहारा चल रहा है हम मुफलिसी के आशिक बड़े कंजूस हैं यारो मोहब्बत में जैसे - तैसे गुजारा चल रहा है !