बीतेगा सिर्फ़ वक़्त खर्च हम होंगे दोस्त
आज़ को जीने की जरूरत हैं कल की फ़िक्र
छोड़ मेरे दोस्त कल की कल देखेंगे शाय़द
कल मिलें हीं नहीं तों चिंता छोड़ हंस-
दर दर फिर रहा हूं लिए अपने ग़म
गुमनाम हो रहा हूं कोई पूछे बताएं
आखिर क्यों मैं जी रहा हूं-
लिखने से किसी ने समझा दिल-ए-हाल
जवाब हैं "नहीं" क्योंकि लोग सिर्फ मतलब
से जुड़े हैं अपने स्वार्थ से जुड़े हैं बोहोत कम
होंगे जो सिर्फ़ स्वार्थ से नहीं अच्छे विचारों से
जुड़े हैं
मिलें अच्छे लोग तों मिलाना अरसा बीत चुका
कोई मिला नहीं जो लगें अपना सा-
एकटेपणा मध्ये जीवन खूप सुंदर
असं दिसून येतं कधी आकाशाच्या
दिशेने निघालो तर कधीं पक्ष्यांच्या
सोबत उंच पहाड चढलो तर कधीं
नद्यांच्या काठावर बसून थंड हवेच्या
आनंद घेतला
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जब कुछ नहीं बचेगा जिंदगी में खोने के
लिए तब मज़ा आयेगा जिंदगी जीने में-
चला गया वो मेरे पास से
रोख नहीं थीं ना हीं परवा थीं
उसकी तुम्हें आंसू नहीं पत्थर
थे आंखों में नींद नहीं मिलीं उसे
जागकर जोड़ते जोड़ते ख्वाबों
को अपने टूट कर बिखरने लगा
वो बिखर के दम तोड़ कर चला
गया वो तुमपे मर मिटा था वो
सजा बस इसी बात की मिलीं उसे
यकीं नहीं होता आसमां के आज़ाद
परिंदे को तबाह होते देखा मैंने
चला गया वो मेरे पास से रोख नहीं थीं
ना हीं परवा थीं उसकी तुम्हें-
बिखरा पड़ा हूं जुड़ने की कोई गुंजाइश नहीं
रोख लेना कदमों को ज़मी पे हीं आसमां की
सीढ़ियां चढ़ने की इजाज़त जिंदगी को नहीं
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एक वक़्त था बाद कोई वक़्त नहीं बचा
बताओं? फरियाद करते भी तों किसे हर
कोई गहराईयों से मूंह फेर लिया करता था
इसलिए धीरे से आगे बढ़ गए बढ़ना ज़रुरी
था लेकिन सफ़र बड़ा मुश्किल गुज़रा
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फ़र्क उन्हें पड़े जो जी रहे हैं
उन्हें नहीं जो मर कर ख़ाक हो चुके हैं-
उस पर कैसे यकीं कर लूं ज़रा सा भी
जीस ने कभी समझा हीं नहीं समझकर
भी जरुरी समझा नहीं-