दिल के टूटे तो ऐसे लोग मिले हैं गफलत
जिनके घर का कोई शीशा भी नहीं टुटा हैं
-ग़फ़लत बनारसी-
क्या हैं इश्क मुझको बतलाओ गफलत
गफलत को जो गफलत हुई वही इश्क हैं
-गफलत बनारसी
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नही तुमने कहा कि कुछ सही हैं कुछ गलत इसमे,
अगर गलती भी करते हो तो सही अंदाज़ अपना लो-
Acceptance is a doorway that connects you to ultimate blisfullnes, if you can understand the importance of accepting inevitiablity of every moment.
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ज़हर के घूट हर रोज़ थोड़े पीना सीखो
ज़िंदगी ऐसी ही हैं मेरे दोस्त जीना सीखो-
अपने से मतलब रखकर देखो
एक अलग सुकून मिलेगा
तन्हाई का घाव भूलना
अपनी जिमेदारी हैं
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ना कुछ धूप मे ना छाव मे नज़र आया
नज़र खुली मेरी जब मै अपने घर आया
ज़हर उगलता हू जुबान से ये सच बात हैं
ज़हर का छिटा आज मेरे भी तो सर आया
शेर हू तो घास खाके नही जी सकता
तू मुझे बाँध के क्यों लेके है कवर आया
मुझमे कुछ हैं जो सरहदो मे नही बंध सकता
है नई रात ये मैं अलग निशाचर आया
ये दिल लगता नही ये किसके तलाश मे हैं
मै अपनी रूह जलाकरके हू निकल आया
मै ख़ुद से डरता हू ये बात सही हैं गफलत
मै खुद को छोड़ कही आगे हू निकल आया
-गफलत बनारसी(सौरभ दूबे)
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दिल क्या दिया आप तो जान ले रही हैं
क्यों इस आशिक का इंतेहान ले रही हैं।
वैसे तो मै गैरो से बोलता न भोजपुरी
पर उस बोली मे आप परान ले रही हैं।
दिल जला ही देती हैं अक्सर आशिकी
आज आप कोयले की खान ले रही हैं।
बेखौफ तन्हा चलने की आदत सी थी मुझे
फिर क्यों मेरा हाथ आप थाम ले रही हैं।
मेरे इश्क का जरिया ना बनिये मुझे नही जरूरत
सरकार रोकती हैं क्यों कुरान ले रही हैं।
गफलत हैं मेरा नाम मैं गफलत में रहूँगा
क्यों शायरी से शायर का सलाम ले रही हैं।
-गफलत बनारसी-