रातों को जागना कोई बड़ी बात नहीबिना तुम्हारे जागना बड़ी बात है।। @सौरभ_दीक्षित -
रातों को जागना कोई बड़ी बात नहीबिना तुम्हारे जागना बड़ी बात है।। @सौरभ_दीक्षित
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उनसे मिले तो लगा मेहताब ने आँख मिलाई हो हमसे रातों को मेरा जागना आज मुकम्मल हो रहा था।। @सौरभ_दीक्षित -
उनसे मिले तो लगा मेहताब ने आँख मिलाई हो हमसे रातों को मेरा जागना आज मुकम्मल हो रहा था।। @सौरभ_दीक्षित
वो देखते है हमको मँहगे लिबासों की तरहगर झांकते हमारी रूह में तो वाकिफ हमसे होते।। @सौरभ_दीक्षित -
वो देखते है हमको मँहगे लिबासों की तरहगर झांकते हमारी रूह में तो वाकिफ हमसे होते।। @सौरभ_दीक्षित
कैसे न जुड़ता उनका रिश्ता मेरे वजूद सेउंगलियां जो मेरी रूह पर फिर बैठे थे।। @सौरभ_दीक्षित -
कैसे न जुड़ता उनका रिश्ता मेरे वजूद सेउंगलियां जो मेरी रूह पर फिर बैठे थे।। @सौरभ_दीक्षित
हुआ दीदार उनका आज और थी कार्तिक पूर्णिमा की रात लगा जैसे तुलसी अपने व्याह में खुद को ही सजा रही थी।। @सौरभ_दीक्षित -
हुआ दीदार उनका आज और थी कार्तिक पूर्णिमा की रात लगा जैसे तुलसी अपने व्याह में खुद को ही सजा रही थी।। @सौरभ_दीक्षित
उसे देख मेरी रूह ने बगावत कर ली मुझसेठुकराने लगी जैसे कोई बेवफा मालिक हूँ मैं।। @सौरभ_दीक्षित -
उसे देख मेरी रूह ने बगावत कर ली मुझसेठुकराने लगी जैसे कोई बेवफा मालिक हूँ मैं।। @सौरभ_दीक्षित
दिखाकर ख्वाब जमाने को अपने मकां में चैन से सो गयासिखाकर इश्क की तासीर जमाने को वो "राहत" दे गया।। @सौरभ_दीक्षित -
दिखाकर ख्वाब जमाने को अपने मकां में चैन से सो गयासिखाकर इश्क की तासीर जमाने को वो "राहत" दे गया।। @सौरभ_दीक्षित
गर रूह में उतरती तू मेरीतो आइना तू भी मेरे लफ्जो में देखती।। @सौरभ_दीक्षित -
गर रूह में उतरती तू मेरीतो आइना तू भी मेरे लफ्जो में देखती।। @सौरभ_दीक्षित
अनजान इस सफर में थोड़ा तन्हा सा मैरूबरू हुआ जो तुमसे तो थोड़ा संभल गया मै -
अनजान इस सफर में थोड़ा तन्हा सा मैरूबरू हुआ जो तुमसे तो थोड़ा संभल गया मै
बेफिक्र हूँ लेकिन फिर भी तुम्हारी फिक्र करता हूँ -
बेफिक्र हूँ लेकिन फिर भी तुम्हारी फिक्र करता हूँ