कभी-कभी मैं पहाड़ होना चाहता हूँ
चाहता हूँ की जो भी मनोकामनाएं मैं ने ख़ुद से , तुमसे लगाई है वो मुझे में ही रहे बस तुम्हें वो दूर से धुन्ध कि तरह दिखाईं दे
चाहता हूँ कि धुन्ध दिखाई देने पर तुम मेरे पास आओ. पास आने पर तुम्हें शायद कुछ भी ना दिखाई दे ; शायद तुम्हें मैं विरान लगू पर वो मेरे भीतर ही कही छुपी मिलेंगी तुम्हें. देरी हैं तो बस तुम्हें उसे खोजने कि..
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उसको भुलाने में मसअला ये है
वो सिगरेट हैं, बात छिड़ते ही उसका बोसा याद आता है-
पिता के लिए कोई दिन नहीं होता
उनके विषय मे लिखने का कोई दिन नहीं होना चाहिए
लेकिन फिर भी जिस तरहा हर दिन दिवाली नहीं हो सकती
हर दिन एक जैसा नहीं हो सकता
आप हमेशा खुश या दुःखी नहीं रह सकते
इसीलिए ये एक दिन है पिता पर लिखने के लिए-
बात कहनी कब हैं अब ये वो जाने
हम तो बस उनके हा में हा मिलाना जाने
वो भटकता छोड़ गए हमको किसी रहा पर
जीत का स्वाद भला उनसे अच्छा कोण जाने
फर्क़ बस इतना सा हैं की वो चांद है
वर्ना सूरज कि रोशनी में चमक ना कोण जाने
बेहतर से बेहतर भी कोई हो सकता है
मगर उनसे बेहतर भी कोई हो कोण जाने
अब रातों को अक्सर जगा करते है
भला उनका का बदलता लहजा भी कोण जाने
कोई तलबगार होता हैं जो इंतजार करता है
वर्ना लोग तो बात बात पर कहते हैं के उनको कोण जाने
डूबकर चाहना भी किसीको एक सौदा हैं "सौरभ"
शायद ही उन्हें कोई ऐसा मिले या शायद मिल जाए कोण जाने-
Love isn't a formality to do
Love is like a pain
When you getting into it
You accounts every single second of it-
इश्क आरजू हैं, जुस्तजू है
मुझ को करता हैं पागल अब हर लफ्ज़ उसका
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Ek mulakat baki hai tumse
fir vo kabhi aakhri nahi hogi
Raat gujarti jaa rhi hai.
Na jaane subha kab hogi
Dil pheli dafa itna dhadka hai
Baat jarur laazmi nahi hogi
Itne sanate me ye shor kaisa hai
Beshak aj toh diwali nahi hogi
गिरफ्तार karlo mujhe apni baho me
Har din itni aasani nahi hogi
Main udna chahta hu ; bohot ucha udna chahta hu
Kaho tumhe koi parishani toh nahi hogi
Aur amma itna jala bhi mat kro mujhse yaar
Ab Apni dushmani khandani thodi hogi-
Kuch hasil likhta hu, Kuch mumkin likhta hu
Ho munaseeb jo jo main vo sab likhta hu-
वैसे तो उसके घर से दूर नहीं घर मेरा
मगर रास्ते में एक ज़माना पडता हैं जब वो था मेरा
धोका उसका नाम हैं
और इश्क हैं नाम मेरा
वस्ल की बात छोड़ो यारों
कदम कदम पर रहा हैं hirj मेरा
ईमानदारी बड़ा महंगा शौक हैं
और शोक ही रहा हैं बड़ा मेरा
बात उसके चले जाने की नहीं
मगर हादसों से ज्यादा रहा गम मेरा
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कोई, बेवजह उदासी का सबब मुझसे पूछे
हंसकर बताऊँगा उसे कि दिल मे दर्द बहोत है
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