तुझे देखने के लिए मैं घंटों इंतज़ार करता
तु इससे ही समझ जाती मैं तुझे कितना प्यार करता....-
तुमने कुछ यूं बदनाम किया की मेरा नाम हो गया
और ये किस्सा भी सरेआम हो गया
और जिसपे कहती थी की हक़ सिर्फ तुम्हारा है
आज भरी महफ़िल तेरा वो आशिक़ नीलाम हो गया....-
उसकी आँखों में आज ये शख्स खो जाये
वो पहली वाली मोहब्बत आखिरी बार फिर हो जाये
और अगर खुदा भी पुछे की उसके बदले क्या देगा
मैं बोलूं उसे मेरा बना चाहे बदले मेरी जान ले जाये...-
उनके लिए छोड़ा हम घर परिवार करते हैं
सिर्फ उन्हीं को देखने का कारोबार करते हैं
उनसे मिल कर मोहब्बत को खरीदना है
सुना है वो इश्क़ का व्यापार करते हैं....-
हम तुम्हें खुद में कुछ यूँ खोजा करते हैं
मंदिर में फरियाद और रमजान में रोजा करते हैं....
-
मुझे उनसे अपने सारे सवालों का जवाब मांगना है
अपने इश्क़ का एक - एक हिसाब मांगना है
उनपे खर्च किये हैं मैंने जितने भी
उनसे वो सारा अपना इतबार मांगना है....
*इतबार - Sunday-
चलो आज फिर एक काम करते हैं
ये दिल फिर तेरे नाम करते हैं
है इजाजत तुझे इसे फिर तोड़ जाने की
चलो आज फिर मेरे नाम को बदनाम करते हैं....-
अब मेरे हम में तुम नहीं हो
छोर जा चुकी हो तुम कोई गुम नहीं हो
इज़्ज़त, परिवार और समाज के किस्से सुना कर
हुई थी जिससे मोहब्बत वो अब तुम नहीं हो....-
मैं तो रो चुका अब तुम्हे भी रोना पड़ेगा
एक रोज तुम्हे भी किसी बेवफा का होना पड़ेगा
होगी मोहब्बत तुम्हे और बेतहाशा होगी
और फिर एक रोज तुम्हे उसे खोना पड़ेगा....-
आज फिर उन गलियों में आना जाना हुआ
जहाँ इश्क़ मेरा था बेगाना हुआ
उस दिन ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से भूल जाना हुआ
जब किसी गैर की बाँहों में उनका सिमट जाना हुआ....
-