हम किसी को टूट कर चाहें और वो वफ़ा करे,
लोग सौ बार सोचे फिर इश्क इक दफा करे।
उसका छोड़ कर जाना मेरे मौत से कम नहीं था,
भला मौत क्यूं पहले किसी को इत्तला करे।
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हिंदी प्रेमी♥️♥️
श्रोत्रिय 🚩🚩
कुछ लिखने... read more
कहां तो तय हुआ था साथ चलेंगे उम्र भर के लिए,
सफर में ही उसने हाथ छोड़ा नए सफर के लिए,
बातें झूठी हो सकती हैं हमने आंसू भी झूठे देखे,
दरख़्त कहां रोते हैं एक शजर के लिए।-
हममें भी एक दीप जले,
जो हमारे अवगुणों से लड़ें,
अंतःस्थ का प्रकाश हो,
समस्त विश्व का विकास हो।
हम भी एक दीप जलाएं,ऐसा यत्न हो,
आसपास कोई भूखा तो नहीं ,प्रयत्न हो,
कोई बच्चा बिना दूध भूखे न रोए,
कोई झोपड़ी अंधेरे में न खोए।
नहीं केवल आतिशबाजियों का शोर हो,
दीपावली जीवन का एक नया भोर हो,
लड़ सकें हम स्वयं में निहित तम से,
"वसुधैव कुटुंबकम्" का प्रचार हो।
जलाएं एक दीप घर के द्वार पर,
जो बुलाए राह चलते पथिक को बार बार,
आएं हमारे गेह को,
करें कृतार्थ, निमंत्रण स्वीकार कर।-
तेरे सीने में जल रहा हूं,
आंखों में पिघल रहा हूं ।
जम चुका था मैं कहीं बर्फ सा,
ढूंढ कर रस्ता निकल रहा हूं।-
भाषाओं के परिवार में,
मां भारती के श्रृंगार में,
चमकती जो बिंदी है,
वही भाषा हिंदी है।
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तुम जैसी हो वैसा मेरा नजरिया बन गया है,
रेत के जर्रों जर्रों में जैसे दरिया बन गया है।
पलकों पर रखती हो जिसकी पहरेदारी तुम,
ये कालिख वहां पहुंचने का जरिया बन गया है।
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श्यामवर्ण नेत्र कमल से,
माखानप्रेमी वह चितचोर
बांधा जिसने गोकुलवासियों को,
अपने दिव्य प्रेम के डोर।
बालरूप अति मनमोहक,
घुंघराले केश सुन्दर कपोल,
तोतली वाणी किन्तु मधुर,
सुना रहा यशोदा को मीठी बोल।
कज्जल नयन,रक्त अधर,
शीश मुकुट पंख मोर,
रत्नजड़ित कमरबंध,
पैंजन का मधुर शोर।
बालरूप अति मनमोहक,
दर्शन अति भावविभोर।
कौतुक भरे कार्य नटवर के,
स्नेह से हर क्षण सराबोर।-
देकर खुशी अपनी तुमसे लिया गम मैंने,
ढूंढू अपनी खुशी ऐसा कोई हिस्सा नहीं,
ये कहानी भी तेरी और अकेला ही किरदार तू,
लिखूं अपना भी कहीं ऐसा कोई किस्सा नहीं।
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मैं दूर कहीं पड़ा हूं ढेर 'रेत' सा,
हवा के झोंके सी तुम उड़ा ले जाते हो।
'कोई सुन न ले' मैं चीख हुं उस दर्द का,
रोज इसी डर में मुझे दफनाते हो।
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हर ज़ख्म से निकलती 'आह' हूं मैं,
तड़पते रूह की 'कराह' हूं मैं,
आंधियों से उजड़ा घरौंदे सा,
मत पूछ कितना 'तबाह' हूं मैं।
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