ज़िंदगी सिखाएगी तो सीखना है, गिराएगी तो संभलना है, रूलाएगी तो हंसना है..पर सब तुम्हारे साथ, तुम्हारा हाथ थामे।
जो कभी जंरूरत से ज्यादा थक जाऊं, तुम्हारा आलिंगन में भर लेना मुझे..
जब उदास आंखें दीवार निहारे, तुम्हारा मेरी हंसी बन जाना..
जो कभी निराशा में डूब जाऊं, तुम्हारा मेरी उम्मीद बन जाना..
तुमसे परे कभी सोचा नहीं और जो सोच में नहीं वो सच कैसे होगा, क्या ही होगा...
न ही हो तभी बेहतर॥
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