हम लाख खूबियां अपने पास रखें लेकिन बस एक आदत उन सारी खूबियों को नष्ट कर सकती है और वह है हमारी तुलना करने की आदत। खुद को बेहतर शाबित करने में अक्सर हम सामने वाले को नीचा दिखा देते हैं जबकि ऐसा करना शायद हमारी नीयत में नहीं होता। जाने- अनजाने की जाने वाली यह गलती हमें दूसरों के समक्ष बढ़ा या अच्छा बनाने की जगह न केवल तुच्छ सोच वाला बना देती है बल्कि उन सारी खूबियों को भी मिट्टी में मिला देती है जो असल में हमारे अंदर हमारे मेहनत की कमाई होती है।
कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्य में अपना बेहतर ही करने की कोशिश करता है, ऐसे में किसी से की गई तुलना से वह खुद को कमतर समझने लगता है और अपनी योग्यता और उपलब्धि का गलत आकलन करता है और खुद को समाज के सामने स्थापित करने से डरता है। किसी की स्थिति का मजाक बनाना निश्चित ही घोर अपराध है। हमें सबकी स्थिति-परिस्थिति का सम्मान करना चाहिए तथा व्यर्थ की इस तुलना से बचना चाहिए।
-