Saumya Shrivastwa   (Saumya Binod)
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वो-कृष्ण की राधा बनना बेहतर या गोपी
मैं-कृष्ण की रूकमणी❤
Joined 8 February 2019


वो-कृष्ण की राधा बनना बेहतर या गोपी
मैं-कृष्ण की रूकमणी❤
Joined 8 February 2019
24 FEB AT 0:37

अमावस की रात में पि को मालूम है रास्ता,
अपने घर का
पूर्णिमा की चांदनी में मैंने भूला दिया,
शहर अपने बाबुल का

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25 JAN 2022 AT 23:36

दिन के हलचल से जब
थक कर शाम को घर देखती हूँ
सूकुन के पल में तुम्हारा साथ देखती हूँ।

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29 OCT 2021 AT 23:09

तुम्हारे सर से
मेरे आँचल का
साथ यूं ही बना रहे

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23 JUL 2021 AT 2:13

वो जो तुम सा है
क्या सच में
वो तुम सा ही है

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19 JUL 2021 AT 1:09

हाँ
सच हैं मैं रिश्तों से दूर रहती हूं
इसलिए नहीं क्योंकि मैं अकेले रहना
पसंद करती हूं
इसलिए क्योंकि लोगों की उम्मीदें
आपसे दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगतीं हैं
और जब स्वयं भगवान लोगों के उम्मीदों पर
खरे नहीं उतर पाते तो
मैं तो महज एक इंसान हूं

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17 JUN 2021 AT 0:38

प्रकृति की हरियाली के साथ ये बारिश ,
बारिश के साथ ये चाय और
इन सब के बीच "हम"
सिर्फ हमारे लिए

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14 MAY 2021 AT 23:18

चलो मानती हूँ
मुझमें हजारों ख़ामियां हैं
तो तुम ही बताओ
तुम कौन से परिपूर्ण हुए
जो मुझमें ख़ामियां ढूंढ गए

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13 MAY 2021 AT 0:25

बेपरवाह बेधड़क
रहने वाली
आज परवाह करना
सीख गई
रिश्तों की बेफिक्री से
आज रिश्तों की फिक्र
सीख गई
फिर भी..
लगता है कहीं तो वो चुक गई

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24 APR 2021 AT 15:35

कल वो किस किस का था क्या फर्क पड़ता है
आज वो मेरा है बस इसी पल में पूरी उम्र गुजार दूं

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5 FEB 2021 AT 11:40

पौधों को बढ़ने के लिए खाद-पानी तो डालते
पर रिश्तों को क्यूँ यूं ही बढ़ाना चाहते हो

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