अमावस की रात में पि को मालूम है रास्ता, अपने घर कापूर्णिमा की चांदनी में मैंने भूला दिया,शहर अपने बाबुल का -
अमावस की रात में पि को मालूम है रास्ता, अपने घर कापूर्णिमा की चांदनी में मैंने भूला दिया,शहर अपने बाबुल का
-
दिन के हलचल से जब थक कर शाम को घर देखती हूँ सूकुन के पल में तुम्हारा साथ देखती हूँ। -
दिन के हलचल से जब थक कर शाम को घर देखती हूँ सूकुन के पल में तुम्हारा साथ देखती हूँ।
तुम्हारे सर सेमेरे आँचल का साथ यूं ही बना रहे -
तुम्हारे सर सेमेरे आँचल का साथ यूं ही बना रहे
वो जो तुम सा हैक्या सच मेंवो तुम सा ही है -
वो जो तुम सा हैक्या सच मेंवो तुम सा ही है
हाँ सच हैं मैं रिश्तों से दूर रहती हूंइसलिए नहीं क्योंकि मैं अकेले रहना पसंद करती हूंइसलिए क्योंकि लोगों की उम्मीदें आपसे दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगतीं हैंऔर जब स्वयं भगवान लोगों के उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते तोमैं तो महज एक इंसान हूं -
हाँ सच हैं मैं रिश्तों से दूर रहती हूंइसलिए नहीं क्योंकि मैं अकेले रहना पसंद करती हूंइसलिए क्योंकि लोगों की उम्मीदें आपसे दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगतीं हैंऔर जब स्वयं भगवान लोगों के उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते तोमैं तो महज एक इंसान हूं
प्रकृति की हरियाली के साथ ये बारिश , बारिश के साथ ये चाय औरइन सब के बीच "हम"सिर्फ हमारे लिए -
प्रकृति की हरियाली के साथ ये बारिश , बारिश के साथ ये चाय औरइन सब के बीच "हम"सिर्फ हमारे लिए
चलो मानती हूँ मुझमें हजारों ख़ामियां हैं तो तुम ही बताओतुम कौन से परिपूर्ण हुएजो मुझमें ख़ामियां ढूंढ गए -
चलो मानती हूँ मुझमें हजारों ख़ामियां हैं तो तुम ही बताओतुम कौन से परिपूर्ण हुएजो मुझमें ख़ामियां ढूंढ गए
बेपरवाह बेधड़क रहने वालीआज परवाह करनासीख गईरिश्तों की बेफिक्री सेआज रिश्तों की फिक्रसीख गईफिर भी..लगता है कहीं तो वो चुक गई -
बेपरवाह बेधड़क रहने वालीआज परवाह करनासीख गईरिश्तों की बेफिक्री सेआज रिश्तों की फिक्रसीख गईफिर भी..लगता है कहीं तो वो चुक गई
कल वो किस किस का था क्या फर्क पड़ता हैआज वो मेरा है बस इसी पल में पूरी उम्र गुजार दूं -
कल वो किस किस का था क्या फर्क पड़ता हैआज वो मेरा है बस इसी पल में पूरी उम्र गुजार दूं
पौधों को बढ़ने के लिए खाद-पानी तो डालतेपर रिश्तों को क्यूँ यूं ही बढ़ाना चाहते हो -
पौधों को बढ़ने के लिए खाद-पानी तो डालतेपर रिश्तों को क्यूँ यूं ही बढ़ाना चाहते हो