साल का आख़िरी पन्ना पलटने को है,
सपनों का एक और सितारा बुझने को है।
ख़ुशियाँ थीं, कुछ ग़मों की कहानी भी थी,
हर लम्हे में छुपी ज़िंदगी की निशानी भी थी।
आओ इस साल को विदा करें मुस्कान के साथ,
नए साल में बढ़ाएं खुशियों की बात।
जो छूट गया, उसे सबक बना लेंगे,
जो पाया नहीं, उसे सपना बना लेंगे।
नई उम्मीदों का दीप जलाने का वक़्त है,
बीते साल को गले लगाकर आगे बढ़ने का वक़्त है।
साल का आख़िरी दिन यही सिखाता है,
हर अंत में एक नया आरंभ आता है।-
मैं तुमसे सिर्फ प्यार नहीं चाहती... तुम्हारा गुस्सा भी चाहती हूँ
मैं नहीं चाहती तुम मेरी हाँ में हाँ करो मैं
तुमसे बहस करना भी चाहती हूँ
तुम मेरे नखरे झेलना मैं तुम्हारी अकड़ संभालना भी चाहती हूँ
मैं चाहती हूँ तुम मना लो मुझे
मैं हक़ से तुमसे रूठना भी चाहती हूँ।
जो तुमको महसूस हो... मैं वो अहसास बनना भी चाहती हूँ
मैं अपनी हस्ती, दिल, जिस्म, रूह सब तुमपे मिटा दूँ
मैं तुम्हारे वजूद का हिस्सा होना भी चाहती हूँ...-
Door jaa kar bhi hum
door jaa na sakenge,
Kitna royenge hum
bata na sakenge,
Ghum iska nahi ke
aap mil na sakoge,
Dard is baat ka hoga
ki hum aap ko bhula
na sakenge...-
MAINE AB KHUSHIYON SE
KINAARA KARNA SEEKH LIYA,
HASSI KO LABON PE RAKH KAR GHAMO
KO SAHAARA KARNA SEEKH LIYA,
AB MAI KISI PAR AITBAAR NAHI KARTA,
AB MAINE AKELE GUZAARA
KARNA SEEKH LIYA...-
बहुत बार सोचती हूं।
आज सब कुछ बोल दूंगी।
क्या समझता है वो खुद को।
आज उसे बता दूंगी।
अगर ना दिया जवाब मेरी बात का तो।
खरी खरी सुना दूंगी।
ना सुनुगी बहाना उसका।
अपने मन का गुबार निकाल दूंगी।
मगर जब आता है वो सामने।
जैसे सब कुछ भूल जाती हूं।
अपनी जुबां से लेता है वो मेरा नाम।
दिल धड़कने लग जाता है
अजीब सा नशा चढ़ने लग जाता है
बस लगता है देखती रहूं एक टक।
वो बोलता रहे मै सुनती रहूं।
थाम ले मेरा हाथ।
और कुछ ना कहे।
मुझसे मुझे ही चुराले।
कहीं मुझे छुपा ले।
बिन कहे वो सब कुछ कह जाता है।
निशब्द सा मुझे कर जाता है।-
शौक से रखूँगी लाज की चुनर सर पर,,!
पहले तुम मेरे आत्मसम्मान और अस्तित्व
की लाज रखना सीख लो,,!!-
खुद की इक ऐसी तस्वीर बनानी है
जिसे अपने मन के रंगों से सजानी है
ना कर पाए उसे फीका कोई
उसमें ऐसी चमक ले आनी है।
दूर से दिखे तो आसमां लगे वो
पास आए तो समंदर का गहरा पानी है
खुद की इक ऐसी तस्वीर बनानी है
जो दिखे तो शांत.. आंखों में उतरे तो
एक लम्बी कहानी है
समेट ले जो खुद में दुनिया की नजरें
उसमें इक ऐसी धनक लगानी है
खुद की इक ऐसी तस्वीर बनानी है।-
मैं मनमौजी,
बस अपने मन की सुनू,
होंगे लाख उलझनो के धागे तो क्या,
मैं उन धागों के साथ अपने
सपने बुनू...😇😇-