एक गुलाब मैंने भी, उसके नाम का रखा है। अपनी प्यारी डायरी में, सबसे छिपाकर रखा है। कहने को बस गुलाब है, मेरी मोहब्बत का खिताब है। तुझसे मिलने की कोशिश में , वर्षों का हिसाब है ।
आसमान में देखो कैसे आज तिरंगा लहरा रहा घर घर फिर से आज हर कोई गणतंत्र मना रहा सबके मन में आज देशभक्ति है हर कोई वही धुन गा रहा आंखो में पानी से लेकर नस नस में भारत समा रहा घर घर फिर से आज हर कोई गणतंत्र मना रहा भारत के हर वीर को नमन जिसने गणतंत्र दिलाया था आज का हर एक समां उनकी याद दिला रहा घर घर फिर से आज हर कोई गणतंत्र मना रहा।
देखकर जगमगाहट लगता जैसे मानो हर रोज यहां दिवाली हो जगमगाती शोर में भी यहां मानो लगता जैसे मन अपना खाली हो कोशिश करते हर रोज यहां हम भी रम जाए इस चकाचौंध में पर दिल मन मर्जी करता मेरी सुनने को ही नहीं राजी हो