Saumya Kaushik   (कौशिकी❤️‍🔥)
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कभी मिलों चाय पर इतवार को...
मैं वैसी हूं नहीं जैसी मिलती हूँ सोमवार को 🌸
Joined 27 July 2019


कभी मिलों चाय पर इतवार को...
मैं वैसी हूं नहीं जैसी मिलती हूँ सोमवार को 🌸
Joined 27 July 2019
20 SEP 2023 AT 21:03

तुम्हें तो आता था हर परिस्थिति से लड़ना
तुम तो जानते थे खिलखिलाना
फ़िर क्यूँ उदास लेटे हो
तुम ईश्वर के बेटे हो
तुम गोवर्धन का भार हो
तुम कुदरत का श्रृंगार हो
यह पल कमज़ोर हो सकता है
तुम कमज़ोर नहीं
तोड़ दे जो तेरी जिजीविषा
ऐसा ब्रह्मांड में जोर नहीं
यह बस दुख है कोई कल्प नहीं
आत्महत्या कोई विकल्प नहीं

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18 DEC 2022 AT 12:55

प्रेम का सफर गुलज़ार इतना है
अंबर में तारों का श्रृंगार जितना है!!

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30 OCT 2022 AT 10:47

इतिहास गवाह है, जालिमों को हमेशा
समर्पित प्रेमिकाएं मिली हैं!!

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26 APR 2022 AT 17:57

इजाज़त ना थी जिसे पराये नर से दो बात करने की भी...
आज दहेज में उसे बिस्तर मिला है!!

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1 APR 2022 AT 15:59

हम जिंदगी गुजार लेंगे!

(कविता अनुशीर्षक में)

National Poetry Month
Day-1

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5 FEB 2022 AT 14:09

बनारस यादगार है तुमसे शायद तुम्हें मालूम ना हो...
तुम्हारा स्पर्श हृदय में जीवित है सदा के लिए शायद तुम्हें मालूम ना हो!
गंगा आरती के समय सब कितने पवित्र लगते हैं ना...
उससे भी पवित्र प्रेम है तुमसे शायद तुम्हें मालूम ना हो!!

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15 JAN 2022 AT 12:35

ना होली ना दिवाली
पहले सीमा की रखवाली

जय हिंद

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14 JAN 2022 AT 10:30

तिलवत् स्निग्धं मनोऽस्तु वाण्यां गुडवन्माधुर्यम्।
तिलगुडलड्डुकवत् सम्बन्धेऽस्तु सुवृत्तत्त्वम्।।

मकर संक्रांति पर तिल समान हम सभी के मन स्नेहमय हो, गुड़ समान हमारे शब्दों में मिठास हो और जैसे लड्डू में तिल और गुड़ कि प्रबल घनिष्ठता है वैसे हमारे संबंध हो।

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10 JAN 2022 AT 17:45

अँग्रेजी के तो अक्षर भी साइलेंट हो जाते हैं..
हिन्दी की तो बिंदी भी बोलती है!!

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28 DEC 2021 AT 9:18

वो पूछते हैं कि ग़ालिब कौन है..
अब कोई पूछे उनसे कि हम बताए तो बताये क्या?

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