Saumya Gupta   (Farzi Gulzar)
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Shayari ka shauk. Kavita path mei vishwas.
Pehle do Bachchan ka fan.
Alag level ka scene!
Joined 3 September 2016


Shayari ka shauk. Kavita path mei vishwas.
Pehle do Bachchan ka fan.
Alag level ka scene!
Joined 3 September 2016
26 SEP 2016 AT 10:02

दुनिया के इस शोर में क्यों आवाज़ तेरी है गुमसुम यूँ,
हर दिन की भाग दौड़ में क्यों खोता है यूँ खुद को तू,
टूटने दे ना खुद को तू तेरी मेहनत काम आएगी,
ऐ राही बस तू चलता जा तुझे मंज़िल मिल ही जाएगी।


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25 SEP 2016 AT 0:14



कब तक अपने सपनों को किस्मत के भरोसे छोड़ेगा,
बात ये तू जान ले हवाओं का रुख़ तू मोड़ेगा,

औकात है तेरी दुनिया में ये दुनिया भी मान जाएगी,
ऐ राही बस तू चलता जा तुझे Manzil मिल ही जाएगी।


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24 SEP 2016 AT 15:02

इश्क़ के Tarannum में गोते जो लगाये,
जितनी गहराई ढूंढें उसमें उतना डूबा जाए,
खुद ही से करे कश्मकश फिर कि मंज़िल तक जाना नहीं,
सफ़र अभी अधूरा है क्योंकि पिया अभी तक माना नहीं।

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24 SEP 2016 AT 9:35

सुबह होते ही लग गए सारे शायर कतार में,
के हुस्न उनका चल रहा था लेकर नई कहानियाँ।


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23 SEP 2016 AT 17:03

हो वक़्त भले बेसब्र अगर,
तू वक़्त की नब्ज़ को कस के पकड़,
तेरा भी वक़्त आएगा,
सब्र का रस मिल जाएगा,
कब्र में रख दे अपना डर,
जा अपने Waqt से दोस्ती कर!


- Farzi Gulzar

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20 SEP 2016 AT 19:24

शाम के धुएं में ऐसा अक्सर मैंने सोचा है,
कि जाने कब बदल गयी ज़िन्दगी...


From Corn Flakes to Gold Flake!

-FarziGulzar

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19 SEP 2016 AT 8:53

बहुत उम्दा हष्र किया है Dil-e-Nadaan ने हमारा,
Muskurahat दिल के रास्ते चेहरे पे दस्तखत देती है आजकल!

-FarziGulzar

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3 SEP 2016 AT 1:18

It would actually take just a single line to "type" YourQuote

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22 JAN 2017 AT 11:29

नहीं होता इसे इल्म किसी बात या ज़माने का,
ग़ज़ब सा फ़ितूर है इसे मेरा साथ निभाने का,
जाने किस हुनर का ख़ज़ाना है इसके पास,
रोज़ आ जाती है मुझे आज़माने ज़िन्दगी ।


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21 JAN 2017 AT 19:47

मिज़ाज है दायरे में रहकर ख़ुद में सिमटने का,
आता नहीं ख़्याल कभी आसमानों में उड़ने का,
क़ैद में रहते है जो सुस्त ख़्वाबों के परिंदे,
रोज़ खोल देती है उनका पिंजरा ज़िन्दगी ।


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