कुछ इज्जतो को इस कदर नीलाम किया,
दुसरो के आशियाने तक से निकले।
लिहाजा इस उधार की जिंदगी का क्या कहिए,,
अपने कमरे के अकेलेपन ने ही जगह ना दी।।-
चांद चेहरा, तेरी रोशनी का असर,
परछाई तेरी, जैसे साहिल पे समंदर।
मिल न सके, मगर दिल में तू बसी,
हर लहर कहे, तू है मेरी क़िस्मत की रहगुज़र।-
मैं तुझे आसमान लिखू,
मैं तुझे चाँद लिखू,
मैं तुझे पूरा ब्रह्माण्ड लिखू,
तू खुद को सितारा समझता है वो भी टूटा हुआ,
मैं तुझे अपनी माँ के बाद कायनात का सबसे खूबसूरत चेहरा लिखू।।-
वो कहती है कि मुझे छोड़ दो,
अब उस से क्या कहु माँ ने अपने कंगन निकाल कर मुझे दिए है-
मुझे कोई एक तरफ़ा पसंद आने लगा है
लगता है अब वो मुझे छोड़ कर जाने लगा है-
तेरे हुस्न-ऐ-दीदार की बख्शी है मोहलत खुदा ने
वरना शहर में चेहरे तो और भी थे-
हमारा हाल पूछने का तकल्लुफ मत उठाया करो
अब जिंदा रह लेते हैं तुम्हारे बिना
कहां आओगे मैयत पर हमारी
तुमने तो दिल भी तोड़ा था आंसुओं के आये बिना-
मोहब्बत ए आरजू है कि मिल जाए वो हंसी,
मगर मालूम पड़ता है कि उसे इश्क का जरा सा इल्म तक नहीं-
हुई है बरसों बाद मुद्दत कि लौट आया है वो,
जो कहता था जन्नत में मिले तो मिले
वरना जहन्नुम ही सही-