satyendra pratap singh  
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Joined 12 September 2022


Joined 12 September 2022
24 APR AT 18:59

इस सफर का यूं ही गुजर जाना...
याद करके बीते लम्हों को आंखों का नम होना जाना...
खुशी और गम के पलों का दोबारा स्मरण होना जाना...
एक अनजान का नई दुनिया में शामिल होना जाना...
नई जगह नए लोगों से मिलना मिलाना...
सफर बीतते बीतते लोगों का दोस्त होना जाना...
एक अनजान का उस दुनिया में जानकार बन जाना...
अकेले आना और अनेकों रिश्ते साथ लेकर जाना...
कुछ को दोस्त, भाई तो कईयों को गुरु का दरजा दे जाना...
आसान नहीं रहा सफर, मन का डगमगाना तो हिम्मत का टूट जाना...
आप सबके सहारे से सारी परेशानियों को पार कर जाना...
प्रकट करता हूँ आभार सबका मेरे सफर में साथी हो जाना...
सुनाने लगा सारे पालों को याद कर..तो समय है आज का कम पड़ जाना...

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...नया साल...
है तो असल में बीते साल के हर एक नये दिन जैसा..
देखने पर अलग-अलग नज़रिये से मालूम होता है अर्थ भिन्न सा..
किसी के लिए सिर्फ तारीख बदलना तो किसी के लिए एक नया जोश, नया उत्साह जैसा..
किसी के लिए धूम धाम से मनाना तो किसी के लिए रोज़ की तरह सो जाने जैसा..
निकाल कर समय थोड़ा बीते जीवन का आकलन कर नई शुरुआत करने जैसा..
जीवन रुपी किताब के एक पन्ने का भरकर नए का मिल जाने जैसा..
नये उत्साह नये तरीकों से उसको भरने का एक नये मौके जैसा..

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10 JUL 2023 AT 22:11

जीना है जीवन कैसा ये तुझे खुद तय करना है..
करते हैं जो दूसरे ज़रूरी नहीं तुझे भी वही करना है..
जा रहे बाकी जिधर हो सकता है नहीं जाना हो तुम्हें उधर..
तू एक लक्ष्य बना की तुझे क्या कर जाना है..
उसे पाने की राह पर चलते तुझे जाना है..
राह में होगे तुम अकेले या कुछ मुसाफिरों का मिल जाना है..
कईयों को तुम्हारा हौसला बढ़ाना तो कईयों को नीचे गिराना है..
याद रहे लक्ष्य है तुम्हारा, पूरा भी तुम्हें ही करना है..
यहीं लेके दृढ़ निश्चय तुमको बढ़ते आगे जाना है..
बढ़ते रहे आगे जो तुम लक्ष्य तुम्हारा बिल्कुल पूरा हो जाना है

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21 MAY 2023 AT 2:18

ये मुखौटों वाले चेहरे भरी दुनिया में सच्चे बंदे को पहचानना एक कला है जनाब
शुक्रगुजार तो हम बदलते समय के हैं जी बेनकाब कर देता है जो सबको

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30 APR 2023 AT 13:47

रणभूमि में रख दिए कदम है जो..
पूरा है लड़ जाने को..
युद्ध चले एक दिन या सालो साल..
लड़ते हैं तुमको रहने को..
जीत हो या हार हो उससे नहीं घबराने को..
मन अगर विचलित हो पीछे हट जाने को..
युद्ध समाप्ति से पूर्व कोई ये उपाय नहीं उसे समझाने को
रणभूमि में उतर जो आए हो..
कर्म जो है लड़ते जाने का, रहो करते पूरा तुम उसको..

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24 SEP 2022 AT 22:25

आज इंसान को खुद को पहचानने की जरूरत  है,अपने आपके अंदर झांकने की जरूरत है,
इस चकाचौंध सी दुनिया में, खुद के लिए समय निकालने की जरूरत है, खुद से बात करने की जरूरत है,
क्या आज हम वैसे ही हैं जैसा हम होना चाहते हैं
इसका जवाब दिमाग को नहीं दिल को देने की जरूरत है,
अगर जवाब ना है तो फिर से आज सोचने की जरूरत है,
हमें अपने आप को पहचानने की जरूरत है,
ऐसा क्या है जो हमें "अपने सपनों सा" बनने से रोक रहा है,
उसको जानने की जरूरत है, उसको सुधारने की जरूरत है,
हमें अपने आप को पहचानने की जरूरत है,
एक बार मन में  ठानने की जरूरत है, खुद को पहचानने की दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत है,
पहले कदम से ही सफर की शुरुआत होती है यह याद करने की जरूरत है,
मंजिल तक पहुंचना है तो शुरुआत करने की जरूरत है,
मुश्किलें तो बहुत आयेंगी सफर में, मगर उनसे ना घबराने की जरूरत है,
सफर शुरू क्यों किया था हमें खुद को यह बतलाने  की जरूरत है,
आज हमें खुद को पहचानने की जरूरत है, खुद से बात करने की जरूरत है,

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24 SEP 2022 AT 22:13

माता-पिता,ये शब्द ही नहीं,कीमत है इनकी अनमोल,
भावनाएं हैं ऐसी जिनको व्यक्त कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा लगता है,
आंच ना आए उनके बच्चों पर इसलिए खुद वो जल जाते हैं,
चोट ना लगे बच्चों को उनके इसलिए ठोकर वो खुद खा जाते हैं,
परिस्थिति कोई भी, झेल वो सब जाते हैं,
हमारी सारी इच्छाओं को पूरा वो कर जाते हैं,
उनकी भी कुछ इच्छा है ये वो हमें कभी नहीं बतलाते हैं,
हमारे सुख और दुख उनके बन जाते हैं,
कहूँगा मैं तो यही ही, ऋण है उनका हम पर है अनंत,
उतारने के लिए, पूरा जीवन भी पड़ जायेगा कम,

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23 SEP 2022 AT 20:08

यूं ही मन में एक ख्याल आ रहा था, अपने आपको मैं बार-बार यही बतला रहा था,
कि वह हम ही हैं जिसने अपनी क्षमताओं को बंधक बना रखा है,
एक बार भरोसा तो रखें खुद पर कि पार कर लेंगे हर चुनौती को हम
नहीं पीछे हटेंगे हम, लड़ेंगे और जीतेंगे भी हम...
फिर जो होगा चमत्कार वह महसूस कीजिएगा,
आधी मुश्किल हो जाएगी हल यहीं पर ये देखिएगा।

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12 SEP 2022 AT 21:40

गिरने वाले को यहाँ जिसने सँभलते देखा,
भय जो था उसमे गिरने का, उससे लडने का जज्बा देखा,
गिरना सबके जीवन का हिस्सा है ये उसने देखा,
उठकर आगे बढने मे जीवन है उसने ये सीखा,
गिरने वाले को यहां जिसने संभलते देखा,
बिना गिरे, गिरकर उठना उसने सीखा ।।

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