किसी से उम्मीद मत रखो, बस खुद से निभाओ।
हर गिरावट एक सबक है, हर दर्द एक रास्ता दिखाता है।
समय सिखा देता है वो, जो किताबें नहीं सिखा पातीं।
और सबसे बड़ी बात —
खुद से प्यार करना, कोई गुनाह नहीं, ज़रूरत है।-
✍️ प्यार, ज़िन्दगी, समाज और सच्चाई पर लिखना मेरी आदत नहीं, मेरी ... read more
किसी से उम्मीद मत रखो, बस खुद से निभाओ।
हर गिरावट एक सबक है, हर दर्द एक रास्ता दिखाता है।
समय सिखा देता है वो, जो किताबें नहीं सिखा पातीं।
और सबसे बड़ी बात —
खुद से प्यार करना, कोई गुनाह नहीं, ज़रूरत है।-
मोहब्बत वो आइना है, जो टूटे भी तो अक्स छोड़ जाए,
दिल चाहे जितना संभालो, फिर भी उसमें कोई रह जाए।-
कितनी आसानी से लोग बदल जाते हैं,
जैसे मौसम, बिना इजाज़त चले जाते हैं।
कभी अपनापन, अब अजनबी सा एहसास,
कितनी आसानी से दिलों में पड़ जाती है दरार।
कितनी आसानी से हँसी भी छुप जाती है,
जब आँखों में थकान उतर आती है।
कितनी आसानी से लोग कह देते हैं “सब ठीक है”,
जब अंदर सब बिखर रहा होता है।-
पर सच्चा होना ज़रूरी है।
शब्द कम हों, पर असर गहरा हो,
रिश्ते कम हों, पर भरोसा पूरा हो।
कम मिले वक़्त, पर यादें अनमोल हों,
कम कहें, पर दिल की बात हो।
कम कम ही सही,
पर हर चीज़ में अपनापन हो।-
जो दिल से महसूस होता है।
वो शब्दों में बँध नहीं सकता,
सिर्फ नज़रें, सिर्फ साँसें कह जाती हैं।
जो जज़्बात छुपे हैं,
वो हर लम्हा गूंजते हैं।
और जो खामोशी बोलती है,
वो सबसे सच्ची होती है।-
एक बार एक राजा ने अपने शाही बाग़ में एक सुंदर गुलाब लगाया।
गुलाब दिन-ब-दिन खिलता गया, उसकी खुशबू पूरे महल में फैलने लगी।
वो इतना सुंदर था कि उसने मिट्टी से कहा —
“मेरे बिना तेरा कोई मूल्य नहीं, देख मैं ही इस बाग़ की शान हूँ!”
मिट्टी मुस्कुराई और बोली,
“सही कहा फूल, पर याद रख, मैं ही तेरी जड़ें थामे हूँ।”
कुछ दिन बाद, तेज़ आँधी चली।
गुलाब अपनी जड़ों सहित उड़ गया —
मिट्टी वहीं रही, शांत और स्थिर।
सीख:
जो जड़ों को तुच्छ समझता है,
वो अपने ही घमंड में उखड़ जाता है। 🌾-
वो औरत,
जो सबकी सुनती है,
पर अपनी बात कहते-कहते चुप हो जाती है।
उसकी हथेलियों में मेहँदी नहीं,
समय की दरारें हैं — जो हर त्याग का निशान बन गईं।
जब सब सो जाते हैं,
वो अकेले अपने सपनों का हिसाब करती है,
कितने पूरे हुए, कितने छोड़ दिए।
उसकी चूड़ियों की खनक अब धीमी है,
जैसे ख़ुशियाँ थक कर सो गई हों।
वो अब शिकायत नहीं करती,
क्योंकि उसे पता है —
शिकायतें भी सुनने वाले कान मांगती हैं।-
वक़्त आने पर सब अनजाने लगते हैं।
सिर्फ मुस्कुराने के लिए हैं चेहरे,
दिल के ज़ख्म कोई नहीं पढ़ते हैं।
सिर्फ साथ चलने का वादा किया था,
मोड़ आते ही सब रास्ते बदलते हैं।
सिर्फ शब्दों में दिखती है मोहब्बत अब,
जज़्बात तो कब के मर चुके लगते हैं।-