Satyaprakash Vishwakarma   (‘प्रियांशु’)
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Joined 16 January 2020


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Joined 16 January 2020
18 JAN AT 19:22

हे भगवन... जीते जी मुझे कभी सुकून नहीं मिलेगा|
तुमने मुझे बनाया ही है ऐसा,
हां जब मै मरूं तो मुझे सुकून से मरने देना,
उस समय मेरे मन में कोई भी पछतावा न हो !
ये दुनिया तुमने बनाई जरूर पर मेरे जैसा कोई नहीं बनाया !
मैं किसी का भी अपना नहीं हो पाया,
लाख कोशिशों के बाद भी मैंने यही पाया कि जिन रिश्तों को मैंने अपने वक्त और भरोसा दे दे कर सींचा है उन्ही रिश्तों से मैने वक्त के लिए भीख मांगी है |मेरे अपनो ने मुझे ये एहसास कराया है कि मेरे जीने या मर जाने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता 😓
मैं लावारिश सा भटकता रहा हूं अब तक मेरे मौला,
अब कुछ नहीं चाहिए...इतनी पीड़ा हुई है कि शायद मौत उससे कम गम दे !
खुद को छोड़ दिया है अब, तुम्हारे हवाले!
किसी को कुछ कहता नहीं,
तंग करता नहीं,
नहीं कहता कि अब वो बात नहीं रही ,
जो तुममें हुआ करती थी,
मैं अपनों के लिए बस एक जरुरत भर रहा,
कभी किसी के लिए जरूरी नहीं हो पाया,
जरूरत खतम होने के साथ लोगो ने मुझे भी खतम कर दिया |
सबसे ज्यादा शिकायत मुझे अपनी गुड़िया से रही,
जान से भी ज्यादा माना उसे हमेशा,
भिखारी तक बन गया
रोया गिड़गिड़ाया
लाख समझाया... तेरे बिना मैं कुछ नहीं मेरी बिट्टी!
वो कभी नहीं समझी...कभी नहीं !
✍️सत्यप्रकाश विश्वकर्मा
‘प्रियांशु’

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17 JAN AT 18:39

तुमने एक भी ऐसा नहीं बनाया जो मेरा अपना हो
😭😭

‘शिकायत’
है तुमसे .... मेरे खुदा 🤲🤲

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लोगों से मुझे फर्क पड़ता रहा,
ता उम्र
मैं रहूं या नहीं किसी को कोई फर्क नहीं!!
💦💦
✍️सत्यप्रकाश विश्वकर्मा
‘प्रियांशु’

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13 JAN AT 10:21

हे भगवान! तुम्हारे पास मेरे लिए भी कोई प्लान है क्या ?
😭😭
✍️सत्यप्रकाश विश्वकर्मा
‘प्रियांशु’

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The end of an era...... ‘Gudiya ’
😭😭
✍️.... सत्यप्रकाश विश्वकर्मा
‘प्रियांशु’

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19 DEC 2023 AT 19:11

सब खतम होने की कगार पर है !
मैं खुद को खोने की कगार पर हूं !
मैं चाहता हूं कि जो समझे मुझे,
उसे ही खोने की राह पर हूं....@गुड़िया!!
संभालो प्रभु...एक तो तुमने भेजा सिर्फ एक मेरे लिए और वो मुझे समझती नहीं!
उसके लिए रोता हूं,रोज इंतजार करता हूं,
अपनी जिंदगी में शामिल रखता हूं
उसके बारे में सोचता रहता हूं,
अपनी हर बात कहता हूं,उसका ध्यान रखता हूं,
पर वो मुझे बोझ समझती है,अपनी जिन्दगी से दूर रखती है,
चाहता हूं कि बस वो ही समझ ले मुझे,पर हर पल दूर जाने का एहसास देती है !
अक्सर मेरा दिल तोड़ देती है,
रोता हुआ छोड़ देती है,
जैसे उसे कोई मतलब ही ना हो,
न जाने क्यूं ऐसा बर्ताव करती है,
न जाने क्यूं जो पहले सब समझती थी,
अब समझकर भी नहीं समझती है,
बस मुझे आंसुओं का सैलाब देती है,
डरता हूं कही खो न दूं उसको,
इसी डर में खुद को रोज खोता हूं,
सोचता हूं संभल जाऊं उसके बिना,
पर हर रोज दस बार गिरता हूं,
चाहता नहीं हूं खोना उसे ,पर उसे अब रोज खोता हूं....
@ गुड़िया!!
‘आहत मन’!
😓😓😓✍️ गधादास 😭



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3 DEC 2023 AT 21:22

✍️खामोश रहता है अब स्वाभिमान अक्सर !
आदत हो गई है उसको चोट खाने की ||
🍃🍃

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30 NOV 2023 AT 16:03

कोई न कोई दुखी होने की वजह ढूंढ ही लेता हूं,
मैं अक्सर खुशियों की महफिल में गमगीन हो ही लेता हूं,
इलाज अपने गमों का हमको पता नहीं,
और मैं रोज नए गम का पता ढूंढ ही लेता हूं !!
🍃🍃

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30 NOV 2023 AT 15:55

कोई न कोई दुखी होने की वजह ढूंढ ही लेता हूं,
मैं अक्सर खुशियों की महफिल में गमगीन हो ही लेता हूं,
इलाज अपने गमों का हमको पता नहीं,
मैं रोज नए गम का पता ढूंढ ही लेता हूं !!

खुशियों से हमारा वास्ता नहीं दूर तक,
मीठे से जो परहेज है सदियों तक,
इतनी मनहूस है शख्सियत मेरी,
रोज ही अपनी पहचान खो देता हूं !!

सबका हुआ मैं हमेशा जो खुद को खो कर,
मिला ना कोई भी जो हमारा हो, हो कर,
न महफिल अपनी, न सवेरा अब अपना,
बस चुपचाप अकेले का एक कोना है अपना !!

स्कूल से कालेज का वो लम्बा सफर,
किताबों के पन्नों में अब धड़कते हैं अक्षर,
पूछते हैं अक्सर कोई है तेरा अपना ?
....क्यूं बनने चला था तू सबका अपना ???
🍃🍃
- प्रियांशु





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28 NOV 2023 AT 21:20

हमेशा मैं ही क्यूं?
...one more failure !

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