ऐसा क्यूं लग रहा कि फिर सब कुछ बिगड़ने को है कान्हा!
बड़े दिनों बाद तो कुछ बनता नजर आया था !
‘फिर से उसी अंधेरे में’.…. नहीं कान्हा....please!
संभाल लो ..….तुमसे ज्यादा मुझे समझने वाला कोई नहीं है !
‘प्रभु’-
Satyaprakash Vishwakarma
(‘प्रियांशु’)
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"_ _ _ और अब जो आखिरी आश थी मिलन की वह भी टूट गयी,
आज मैंने स्वप्न में एक जलता हुआ सपना जो ... read more
आज मैंने स्वप्न में एक जलता हुआ सपना जो ... read more
Joined 16 January 2020
24 JUN AT 19:14
28 APR AT 19:36
जरुरत! अहमियत ! दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं .…..सिक्के का दूसरा पहलू कभी आया ही नहीं जिंदगी में। हम जरूरत भर रहे,कभी अहमियत नहीं !!✍️ जमाना बदला पेड़ सूखा परिंदों ने ठिकाना बदला ...और हम वही पहले जैसे !!🌿🌿
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21 APR AT 14:25
When ever I want to do anything good for anyone it become worst and I am treated as a victim by my loved one's.This occurs always.So I decided to leave everything .....now I'm tired from myself &
it's over🌿🌿-
6 MAR AT 14:48
नहीं रही ख्वाहिशें, न कोई तकल्लुफ
एक इत्तेफाक भर था तुमसे मिलना ए संगम😓 !.....✍️🌿🌿-
22 JAN AT 20:12
हे प्रभु!
अब मृत्यु दे दो,
नहीं सहा जाता... please,
मुझसे बड़ा पापी कोई नहीं 😓-
11 JAN AT 21:10
I am going to do sucide,
I am tired of my life 😓😓
No one is responsible for that except me.
🥹🥹-