U r like a star.. i m like a scar..
All my tries to reach to u..
Still u seem more far..
Is it u or is it me
I dont know who is pushing us apart..
Even if i try to be happy it feels like an arrow going thru my heart…!!
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Dubte chale jaoge..
Fir jo kho gaye tum hum me..
Kasur... read more
यूं ही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो
वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो,
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो,
अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो,
मुझे इश्तिहार सी लगती हैं ये मोहब्बतों की कहानियां
जो कहा नहीं वो सुना करो जो सुना नहीं वो कहा करो||-
Usi raah pe ghar tha uska.. jaha se guzra karte the kabhi..
Un galiyon me aahatein thi uski.. jaha jaaya karte the kabhi..
Kuchh pal ki duriyaan to aati thi.. pyaar Kam ni hota tha tabhi. .
Kaise wo faasle aaye.. jo mur k dekha hi ni tumne fir kabhi..-
बातें जो होनी थी सिर्फ़ ईशारों में तो ये पहले बताते...
हम फिर खामखां की शायरी नहीं अपनी नजरों को ही सजाते..-
बदतमीज़ सी मेरी जुबां.. अच्छी लगती भी कैसे?
अल्फाज़ निकले वो हलक में जो अटके थे सालों में।
गरज़ती सी मेरी आवाज़.. खुशगवार लगती भी कैसे?
जज़्बात निकले वो दिल में जो सड़ते थे किनारों में।-
बहक न जाए उस लौ की नियत...
तू ऐसे होठों से उसे बुझाया ना कर...
होश में आने की कोशिश करते हैं तेरे खयालों से...
यूं नज़रे झुका कर तू ऐसे मुस्कुराया ना कर।-
ये जिंदगी जैसे एक किताब है,
और ये किताब भी बड़ी लाजवाब है।
जिल्द संवारने में इंसान यहां इतना व्यस्त है,
और बेबाक पन्ने तो बिखरने को बेताब हैं।
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यूं तो हर कुछ है तेरे पास...फिर ये किस्मत से लड़ाई कैसी?
खुद से खुद की जंग हो तो उलझनों से रिहाई कैसी?
पूछता है मन अक्सर तन्हा रातों में..
जानता था अगर तू खुद को तो अब अपने आप से हो रूस्वाई कैसी?-
दिल में दर्द लिए बैठे हो, फिर भी मुस्कुरा देते हो
आंसुओं को अपनी आंखों में ही कहीं छुपा लेते हो
फिर बातों का रुख़ दूसरी तरफ तुम यूं मुड़ा देते हो
सोचते हो ..गमों को हमसे कितनी आसानी से छुपा लेते हो ।
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जो बिखरने लगे हम कभी तो क्या तुम संभाल पाओगे?
या ज़ख्मों को कुरेदने के लिए उस वक्त भी हमें गलतियां हमारी ही गिनवाओगे?
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