satyam tripathi   ("सत्य"🖋️)
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Joined 26 April 2021


Joined 26 April 2021
1 MAY AT 9:29



मैंने तुम्हारा इशारा देखा था
तुमने पलट कर दोबारा देखा था
बेशक थोड़ी देर से दीदार हुआ तुम्हारा
हाय वो लहराती जुल्फें क्या नजारा देखा था
अफवाहें मानता था मै ,चांद भी मुस्कुराता होगा
यकीं आया मुझे जब तुम्हे मुस्कुराते देखा था
एक रोज गुस्सा देखा तुम्हारी आंखो में
फ़िर भी मैंने तुम्हे प्यारा देखा था
कितनी नाजुक होती है गुलाब की कलियां
फिर मैने उसके हाथों को छूकर देखा था
कहते थे ग़ालिब होता है आंखों में नशा
फिर मैने नज़रों से नज़रे मिलाकर देखा था
क्यूं खुश होते है मोर सावन के आने से
फिर मैने उसे बारिश में भीगते देखा था
मुकम्मल हुई मुझे एक खूबसूरत परी
जो मैने कभी ख्वाबों में देखा था
कैसे हो जाते हैं लोग दिल हारकर
फिर मैने खुदको आईने में देखा था
"सत्य"






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2 FEB AT 23:17

मैं कुछ ज्यादा न कहूंगा तुम समझ लेना
मैं खत आधा लिखूंगा तुम समझ लेना

मैं तारीफ कुछ इस तरह बयां करूंगा तुम्हारी
चांद की तरफ इशारा करूंगा तुम समझ लेना

जो मुझे लिखनी पड़े कोई खूबसूरत गजल
मेरे हर्फ में वो कौन होगा तुम समझ लेना

मुमकिन है मै न कर पाऊं इज़हार ए मोहब्बत
मेरी आंखों में देखना और तुम समझ लेना

"सत्य"🖋️










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24 JUL 2024 AT 17:41

ये आईने में जो मुस्का रहा है
मेरे होंठों का दुख दोहरा रहा है,
मेरी मर्जी मै जो उस पर लुटाऊ
तुम्हारी जेब से क्या जा रहा है,,

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18 MAY 2024 AT 23:25

मैंने उसकी तरफ़ से ख़त लिखा
और अपने पते पर भेज दिया,
आईने के सामने आकर ख़ुदको
उसकी नज़रों से देख लिया,,

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23 JUL 2023 AT 9:11

उसकी आंखें कुछ कहती हैं
उसका चेहरा कुछ कहता है

वो लड़का बाहर से खुश है
अंदर से गुम सुम रहता है

किसी से भी ज्यादा बातें नहीं करता
अकेले बैठता है कहीं गुम रहता है

कहीं खो गया बातूनीपन उसका
अब वो ज्यादातर चुप रहता है

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20 JUL 2023 AT 21:24

आंखों में आंखे डालकर हम एक दूजे में टहलते थे
याद है मुझे हम अक्सर हाथ पकड़कर चलते थे

सूनी पड़ी होंगी अब वो जगहें जहां बैठकर हम
बस तुम्हे सुनते थे और तुम्हे ही देखा करते थे

तुम फलक में देखकर कहते थे देखो चांद निकला
हम देखकर तुम्हारे माथे की बिंदिया हां कहा करते थे

तुम ही थे दिल में जहन में और रग रग में
तुमको देखकर हम जीते थे तुम पर ही मरते थे

अब मैं तुमको हाल ए दिल अपना क्या बतलाऊ
तुम रोती तो दिल दुखता तुम हस्ती तो हम हस्ते थे

हमसफर थे कुछ दूर के उस राह में मीलों कदम चले
फिर एक मोड़ आया मुड़ने पर हम अपने अपने रस्ते थे

"सत्य"🖋️

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18 JUL 2023 AT 21:14

ये अदाएं ये निगाहें ये जुल्फें हसीं
आईने की नजर लग ना जाए कहीं,
जान ए जा तुम सदके उतारा करो
कि इश्क़ बीमार हो ना जाए कहीं,,

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10 JUL 2023 AT 5:59

आ गई है सहर कि संभाल लूं अब खुदको को
चलूं कि जागा हुआ रात भर का मैं भी हूं,
"सत्य"🖋️

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16 APR 2023 AT 15:16

तेरी पायलें भी तुझसे गुजारिशे करती होंगी
तेरे रुकने पर तुझसे शिकायतें करती होंगी

तेरे झुमके भी अक्सर नशे में झूमते होंगे
जब जब वो तेरी गर्दन को चूमते होंगे

तेरे माथे पर उस छोटी सी बिंदिया का लगाना
जैसे अमावस के बाद चांद का आसमां में आना

तेरी पतली कलाइयों में कंगन भी खनकता होगा
कंगन के बीच मासूम चूड़ियों का सेट बहकता होगा

वो साड़ी के पल्लू को घुमाकर कमर में लगा लेना
बस इतना ही काफी है किसी को फना कर देना

तेरी जुल्फों पर जिस अदा से उंगलियों का फेर लेना
जैसे बहती हवाओ का अचानक से रुख मोड़ देना

"सत्य"🖋️

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15 APR 2023 AT 23:34

रातो को मै कुछ इस तरह सजोना चाहता हूं
इश्क़ का वाकिया गजलों में पिरोना चाहता हूं

नजर ना लगे सो छुपाता हूं सूरमयी आंखो को
फरेबी निगाहें थी उसकी ये भी बताना चाहता हूं

उन्होंने जाहिर किया इश्क ही नहीं मुझे आपसे
सो मुद्दा ही नहीं कि बेवफ़ाई जताना चाहता हूं

ख़ैर वो अदाकार ठीक ठाक थे दगाबाजी के
मगर मैं अपनी कहानी में वफादार चाहता हूं

अब ख्वाबों मे भी मत आना वस्ल के इरादे से
ये मसला अलग कि मै मुलाक़ात चाहता हूं

हमसफर बदले है लाज़मी है मंजिले अलग हों
राह से पत्थर मत हटाना मै आघात चाहता हूं

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