ईश्वर है या नहीं ये तो मैं नहीं जानता पर हमने जरूर अपने आसपास ईश्वर के उस स्वरूप को देखा है जो हमें तनिक सा भी एहसास ही नहीं होने देते कि हम अकेले हैं।
कुछ किवनदंती इसे Conditional love की श्रेणी में रखते हैं।वो चाहते है कि उनकी पहचान उनके नाम से नहीं अपितु उनके बच्चों के नाम से हो। वो हमारे लिए वो सब कुछ करते हैं जो एक माँ करती है सिवाय जन्म देने के।
कहते हैं कि केवल मां ही रोती है परंतु मैने एक पिता को भी रोते देखा है पर शायद उसके आंसुओं को नहीं देखा क्यूंकि उनके लिए आंसुओं का कोई महत्व नहीं; अगर वो खुद आंसुओं से भरा होगा तो माँ को कैसे समझा पाएगा कि रोते नहीं, कैसे वो उनके आंसुओं को पोंछ पाएगा ।
शायद हम में से बहुत कम ही होते हैं जो अपने पिता से दिल की बातें कर पाते हैं और तो और हमें ये भी नहीं पता होगा कि कब हमने उनसे आखिरी बार बात की होगी,कब उनसे पूछा होगा कि तुम ठीक हो ना क्यूंकि हम ऐसे समय में जी रहें है जहां मात्र उनकी फोटो लगाकर FATHER'S DAY मना लिया करते हैं।
हमें जरूरत है उनसे बात करने की,यदि हम उनसे बात नहीं करेंगे तो कौन करेगा ? उनके जीवन को समझे, पता करें कि कोई परेशानी तो नहीं है। उनके साथ समय बिताएं, उनकी पसंद नापसंद पूंछे ताकि उन्हें भी अपनेपन का एहसास बना रहे,और हम भी सतत् प्रयास करते रहे कि उन्हें निराश न होने दें।
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