किताब पढ़ने वालों ने पढ़ी होंगी कल्पनाएं या किसी और का सच या झूठ या लेखक की पीड़ा या खुशी,तुम्हारे चले जाने के बाद मैने पढ़ना छोड़ दिया,मेरे लिए तुम मेरे जीवन की पहली और अंतिम किताब थी,जिसकी कल्पना भी तुम,कहानी भी तुम,और लेखिका भी तुम ही थी,मुझे तुमको पढ़ना था अपने अंतिम दिनों तक,खैर तुमने शायद मुझे अनपढ़ समझ लिया होगा या शायद तुम्हारे प्रेम में पड़कर मैने खुद को पढ़ा लिखा.... अब जो भी हो, अब कुछ पढ़ने का मन नही करता, बस तुम्हे लिखता चला जा रहा हूं,कब तक लिखूंगा पता नही,बस डर ये लगता है की जैसे तुमने मुझसे तुमको पढ़ने का हक छीन लिया,एक दिन ये तुमको लिखने का भी हक न छीन लो... डर शायद बस इतना ही है,तुम्हे खो देने का डर तो तुमने पूरा कर दिया,इसको मत पूरा करना बस इतनी ही उम्मीद है तुमसे....
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