Satyam Shukla   (Satyam Shukla)
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Joined 11 October 2017


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Joined 11 October 2017
6 NOV 2023 AT 23:02

उम्र के पड़ाव में
एक पल ऐसा भी आता है,
जब हम नाराज तो होते है...
लेकिन फिर खुद से ही मान जाते हैं,
क्योंकि समय के साथ
नाराजगी तो बढ़ती है, लेकिन
जिन पर हम अपना हक समझ रहे होते हैं
उन्हे उस नाराजगी की कोई इल्म नहीं होती है,
दूसरे शब्दों में कहें तो,
वो वर्तमान में जी रहे होते है और
हम जैसे नासमझ भावनाओं और उम्मीदों के साथ.....

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27 OCT 2023 AT 9:00

"आखिर क्यूं पाल लेते हैं हम ये सब?"

उम्मीदें, अपेक्षाएं, सपने, ख्वाहिशें...
किस्मत में सब-कुछ मिले ये मुकम्मल कहां है?
खुशियां, अपनापन, भरोसा, सुकून...
इनके बिना कोई दुरूस्त चमन बसा ही कहां है?

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26 OCT 2023 AT 22:43

काश! कुछ ऐसा होता कि,
हमारी नाराज़गी की फिक्र उन्हें भी होती..
काश! कुछ ऐसा होता कि
सुबह के जैसे, मेरी रात भी उतनी ही हसीं होती...

भूला दूं पल में सब-कुछ अगर मैं ठान लूं,
वो कहते की सब याद है,
उस एक पल में मेरे पास हर खुशी होती..

मेरी बातें मेरे सवाल यूं अधूरे न रहते..
कहीं उनमें भी इक अदद प्यास जो अधूरी होती...
चलो आज नहीं मिले तो क्या गम है,
आने वाले कल में ही सही, वो बात तो पूरी होती....

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29 OCT 2022 AT 21:44


आज कल सभी सोशल साइट्स पर
एक ही शख्स ट्रेन्ड कर रहा है, वो है विराट कोहली..
यही जीवन है, आपकी सफलता से आपके आलोचक भी प्रशंसा करने में नहीं थकते है.. यहां बात बस कोहली की नही है बल्कि हर किसी के जीवन का यथार्थ सत्य यही है.. अपने कर्तव्यों का पालन निष्ठा से करो फल स्वयं ही प्राप्त हो जाएगा.. आज के आलोचक को कल के प्रशंसक बनने में देर नहीं लगती है..और हां कुछ भी स्थायी नहीं है आज है तो कल नही रहेगा..इसलिए कुछ प्राप्त हो तो खुश हो लेकिन बस उतना ही कि उसका घमण्ड न होने पाए.....😊

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29 JUN 2022 AT 9:14

मेरी माँ.. प्यारी माँ.. तू ही है मेरा जहां..!
ओ माँ... प्यारी माँ... तू ही है मेरा जहां...!!
कहने से पहले ही
पूरी हो जाती थी, हाँ मेरी ख्वाहिशें सारी..!
अब तो कहने पर
भी नहीं होती पूरी, हां ख्वाहिशें मेरी..!!
माँ को हमेशा बस फिक्र मेरी रहती थी..!
माँ के बिना ये जिन्दगी टूटी सी लगती है..!!
माँ के लिए न्योछावर ये सारा जहां..!
ओ माँ.. प्यारी माँ... तू ही है मेरा जहां...!!
जो कुछ नहीं करता था आज वो ही कर रहा..!
बिना माँ के साथ के आज हूं मैं जी रहा...!!
वापिस मुझे वही प्यार तेरा चाहिए..!
खुशियों भरे वो पल दुलार वही चाहिए...!!
वो हाथों से खिलाना वो रूठने पर मनाना..!
फिर से मुझे चाहिए वही ताना बाना...!!
एक ही है ख्वाहिश मिल जाए फिर से वही जहां..!
ओ माँ... प्यारी माँ... तू ही है मेरा जहां...!!

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31 MAY 2022 AT 23:37

" "

सुकून को ढूंढती
वो उलझनों की रंजिशें..!!
यादों की सिलवटों में,
सिमटी हुई वो ख्वाहिशें...!!
नींद की नजाकत में,
ख्वाबों की वो फरमाइशें..!!

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18 MAR 2022 AT 20:15

आज दसवीं होली है,
जब माँ पास नहीं है...
रंग सारे बेरंग से हैं,
गुझिया में कोई मिठास नहीं है....

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11 DEC 2019 AT 18:33

दस साल कुछ कम भी नहीं हैं.
अनगिनत लम्हों में खुद को घुटते‌ देखा हूं...
मां आ जा ना ले चल न मुझे यहां से..
आज भी वहीं कोने की उस बेंच पर बैठा हूं....

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1 MAR 2018 AT 19:14

चलो यूँ ही
बेरंग हो जाए कभी.
चाहत है भी तो बस
इन्ही रंगों में डूबने की अभी.

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1 JAN 2022 AT 1:57

नींद
गायब है,
लिए इक
सवाल "जेहन" में..
किसी के
"ख्वाब" में जग रहे,
या किसी के "ख्वाब" में.......💔

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