Satyam Sharma  
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Joined 1 March 2018


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23 FEB 2019 AT 23:34

जो गिरते थे हमारे आंगन, वो पत्ते आज कही और गिर रहे है..

लगता है , अब हवाओं के रुख कही और बदल रहे है..

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7 SEP 2018 AT 9:44

नज़रे ही जाने नज़रो की बात..
नज़रे ही समझे अनकहे जज़्बात..

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19 JUL 2018 AT 22:14

आँखों में चमक,
चेहरे पर हंसी..
ख़्वाब अतरंगी,
छिपाये बेबसी..।।

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13 MAY 2018 AT 11:14

लोगों में जन्नत पाने की चाह सदा देखी है..
जन्नत का तो पता नहीं, मैंने "माँ" देखी है।।

अपनी आँखों से दुआ कुबूल होते देखी है..
मैंने दुनिया तो नही देखी, "माँ" देखी है..।।

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13 MAY 2018 AT 11:10

पिता की डांट से वो हमेशा मुझे बचाती है..
गलती होने पर भी मुझे "माँ" प्यार से समझाती है..।।

जो मंज़िल से मेरी 'नज़र' भटकती 'नज़र' आती है..
इशारों में ही मुझे "माँ" नयी सीख दे जाती है..।।

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13 MAY 2018 AT 11:05

मेरे चेहरे को देख वो मेरे हालात जान लेती है..
मेरे अंदर क्या है ये सिर्फ मेरी "माँ"पहचान लेती हैं..।।

मेरा झूठ तो वो चंद अल्फाज़ो में समझ लेती है..
मैं उसे क्या समझाऊँ; वो मुझसे बेहतर मुझे समझ लेती है..।।

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13 MAY 2018 AT 10:52

उसकी हर इक दुआ में मेरा जिक्र ज़रूर होता है..
"माँ" के लिये 'अपने' सिवा हर 'अपना' ज़रूरी होता है।।

कहते हैं लोग अपने सपनों का मान सबसे ऊपर होता है..
औरों के लिये जो अपने सपने भुला दे उसका नाम "माँ" होता है।।

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15 APR 2018 AT 12:58

खुशामदी और मिन्नतों का दौर है साहब,
यहाँ बिना मतलब कोई किसी को पूछता तक नहीं..

ये भंवरे ही हैं जो रस के लालची हैं,
बाग़ उजड़ने के बाद ये मंडराते तक नहीं..।।

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2 APR 2018 AT 23:06

'बंदिशे' हैं बेमतलब ग़र रोकना हो परिंदों को,
जो सहारे के ही मोहताज़ नहीं,
वो अपनी राह खुद बना ही लेंगे..!

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1 APR 2018 AT 20:27

उनकी बढ़ती दूरी मानो चिंगारी सी दिल में सुलगती हैं..
'लहरें' हो चाहे कितनी ही ख़फ़ा,
'किनारे' पर आकर ही थमती हैं..।।

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