Satyam Purohit   (Untrainedink)
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Bronze - Commonwealth Story Writing
Joined 23 April 2018


Bronze - Commonwealth Story Writing
Joined 23 April 2018
8 AUG AT 22:46

एक आँसू जब उसके गाल पर गिरा, 
‎मैं उसे संभाल कर गिरा,
‎अपने हाथ से जब पौछा आँसू उसका,
‎मैं बस उसी अंतराल में गिरा।

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7 AUG AT 18:55

तेरी तस्वीर को काग़ज़ पर उकेरना मुश्किल है,
‎मेरी ग़ज़ल का तेरे हुस्न पर ठीक बैठना मुश्किल है, 
लफ्ज़ कम पड़ जाते है तेरा हुस्न बयां करने में,
‎एक बूंद में पूरा का पूरा समंदर समेटना मुश्किल है।

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6 AUG AT 13:46

‎तुमने मेरे मेहबूब को नहीं देखा,
‎अपने ही वजूद को नहीं देखा,
‎ये जो चाँद को खूबसूरत कहते हो,
‎शायद तुमने खुद को नहीं देखा।

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2 AUG AT 22:09

दिल का सुकूँ, दिल का मर्ज़ हो गया,
‎वो नेक शख़्स इतना खुदगर्ज़ हो गया,
‎मोहब्बत से लिखा था जो खत कभी,
‎वो आज रद्दी में पड़ा काग़ज़ हो गया।

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1 AUG AT 23:32

सावन में टेहकते मोर को देखा,
‎मैंने जब तेरी ओर जो देखा।

‎एक पल तो लगा मुझे जैसे,
‎तरसते जुगनू ने भोर को देखा।

‎आज भी आँखों में है तस्वीर तेरी,
‎मैंने तुझे इतनी गौर से देखा।

‎उमडें लाखों ज़ज्बात आँसु बनकर,
‎चाँद ने जैसे चकोर को देखा।

‎मैंने तेरी परछाई में जैसे,
‎दुनिया के दूसरे छोर को देखा।

‎मैंने तुझे इतनी गौर से देखा,
‎चाँद ने जैसे चकोर को देखा।

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1 AUG AT 12:46

‎तु मेरे इशारों को थोड़ा कम समझता हैं,
‎मेरी मोहब्बत को बस मेरा मन समझता हैं,
‎तेरी खूबसूरती पर इतनी ग़ज़ल लिखी मैनें,
‎अब तो तेरा आईना भी मुझे दुश्मन समझता हैं।

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31 JUL AT 17:49

‎तेरे पाऊँ में जब रमझोल देखा,
‎एक झलक में पूरा भूगोल देखा,
‎ये बादल के पीछे है चाँद छुपा या,
‎ज़ुल्फो से ढका तेरा कपोल देखा।

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31 JUL AT 14:11

मोहब्बत में खुशी
खुद की खुशी से मोहब्बत
मोहब्बत खुदखुशी से।

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30 JUL AT 22:46

‎कोई चाहे जितनी रकम लेलो,
‎पर मेरे दिल का एक जख़म लेलो,
‎मैं इसे थामकर यार थक गया हूँ,
‎कोई मेरे हाथ से कलम लेलो।

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30 JUL AT 11:28

दूसरों के सपनों का बोझा अपने कंधो पर ढोया बहुत,
‎मकान की एक एक ईंट को पसीने से संजोया बहुत,
मुस्कुराके चला गया उसी घर से बेटे की खुशी के लिए,
‎पता नहीं वो पिता बेटी की बिदाई पर क्यूँ रोया बहुत।

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