जिंदगी थी मुश्किलों में मुश्किलें कमाल थी
में गमजदा सा फूल था वो खुशबुओं की डाल थी
में खुदखुशी से जूझता वो मेरी खुशी का ख्याल थी
वो चांदनी सी रात थी वो सर्दियों में साल थी
में मनचला मुसाफिर वो मेरी कदमों ताल थी
वो नर्मदा का रूप थी वो जंगलों में मशाल थी
में कैसे उसको छोड़ता वो मेरी जिंदगी का सवाल थी
उसका लफ्ज़ लफ्ज़ राग था अंग अंग ताप था
मंजिलो पे रोक थी दूरियां फिलहाल थी
वो सरगमो की साज थी शायरों का ख्याल थी
वो होली की आग थी वो फाल्ग का गुलाल थी
में हिमालय से टूटता वो अलकनंदा की चाल थी
धार धार पुण्य थी वो गंगा सी विशाल थी
जिंदगी थी मुश्किलों में मुश्किलें कमाल थी
में गमजदा सा फूल था वो खुशबुओं की डाल थी-
तुम टूटे दिल के टुकड़ों को फिर सजाने आए
मौसम बदले तो दर्द सुहाने आए
तू नही आया तेरी याद आई इस कदर फिर मेरी
आंख से हीरे–मोती के ख़ज़ाने आए
गम की अदालत में वकील पक्के थे अपने
पर तेरे नाम के आंसू मुखबरी करने आए
कोई अफसर हुआ किसी का इश्क मुकम्मल हुआ
शायद हम ही इस दुनिया में सिर्फ मरजाने आए
में एक छोटा लड़का तन्हा–तन्हा जलता रहा
हमसे क्यू कोई नही रूठने–मनाने आए
मैं कैसे समझाता ‘सत्यम’ जज्बातों को कल उम्मीद टूटी
हौसले टूटे दिल के घर से खुद्खुशी के खत पुराने आए
— सते हित सत्यम
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दिलकस हसीन वो नजारे होते
हम तुम्हारे होते तुम हमारे होते
लोक लाज की तुमको परवाह न होती
तेरे आंसू , सर मेरे कांधे के सहारे होते
मैं भी तुम्हारे गाल छूता तुमसे बाते करता
काश हम फोन तुम्हारे होते
तू किसी रोज अपना बना लेता हमको
आज तेरे दामन में चांद सितारे होते
में तुझसे लिपट सा जाता
हम अगर चादर तकिए तुम्हारे होते
वक्त पर हाजिर नाजिर होते दफ्तर में
जो मैनेजर तुम हमारे होते
मौज ही मौज उठती फिर दरिया में
तुम नदी की धार हम किनारे होते
बेढंग है हम तो तुम्हारी गलती
तुम सिखाती तो 'सत्यम' सयाने होते
- सते हितं सत्यम-
मुझसे मिलता नही मेरा चाहने वाला
उसका अंदाज भी है सितम डाने वाला
मेरे बिगड़े हाल पर भी नही पिघला वो कभी
वो जैसे एक पत्थर है मुस्कुराने वाला
तुझसे मिलकर न मिलकर गमजदा सा है
वरना पहले अपना दिल भी था हसने हंसाने वाला
कोई है जिसे तुम अपना समझते हो
सबको चाहिए कोई रूठने मनाने वाला
मुझको छोड़ो तो फिर आहिस्ता से छोड़ो
शायर होता है शीशे की तरह टूट जाने वाला
कयास है के ''सत्यम'' वो परेशां बहुत है फिर भी
वो खुदगर्ज तुझे अपना दुख नही बताने वाला
- सते हितं सत्यम-
तुम मुझको मांगते रह जाओगे मंदिर मजारों में
मैं तुम्हे चूम कर गुम हो जाऊंगा आसमां के सितारों में
देख तेरे होते हुए गमों ने मेरे दिल को घर बना लिया है
कुछ इस तरह जैसे सांप बैठे हो दीवार की दरारों में
सच कहूं तो सिर्फ हम दोनो सबसे अमीर होते
इस जग में अगर गम बिकता बाजारों में
कुछ इसलिए भी मैं तुझे आंख भर कर नही देखता
मेरी नजर न लग जाए तुझको इन हसीं नजारों में
गलत फहमी है तुम्हारी के हम तुम जुदा हो जाएंगे
दोनों को एक दिन फना हो जाना है नर्मदा के किनारों में
उससे कहो ''सत्यम'' दिल को दिल बनाए रखे
भगवान आ जाता है कई बार आत्मा की पुकारो में
- सते हितं सत्यम
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चांद अपनी मोहोब्बत का गवां हो जाए
मैं तेरा दर्द हो जाऊ तू मेरी दवा हो जाए
जेल में मुझसे मिलने अगर आए तू तो
खुदा करे मुझे किसी जुर्म में सजा हो जाए
तुझको मालूम नही तेरे हाथो में ये करिश्मा है
तू मुझे छू ले और ये सूखा पेड़ हरा हो जाए
तूने बड़े शौक से लगाई है मेंहदी ऐसा हो के
तेरे हाथो की खुश्बू मेरी बाद-ए-सबा हो जाए
जिंदगी भर का कौन साथ निभाता है 'सत्यम'
पल दो पल के लिए ही सही उसको तुझसे वफ़ा हो जाए
- सते हितं सत्यम-
जाना दिल होता है दिल लगाने के लिए
मैं तुझको याद करता हु सब भूल जाने के लिए
एक तुझ पर गजल लिखता रहता हु मैं बस और
तू है कुछ करता नही मुझको अपना बनाने के लिए
तू मुझे अपना समझ कर गले भी लगा सकता है
सबको चाहिए कोई अपना धड़कते दिल के तराने सुनाने के लिए
मैं रोज कहता हु तू जरूरी नहीं जिंदगी के लिए
पर झूठ काफी नही जिद्दी दिल को समझाने के लिए
मेरी याद आए तो गजल पढ़ लिया करो
शायरी का खजाना है मेरे पास तुझ पर लुटाने के लिए
वो कहता है 'सत्यम' शायर हो तो तुम्हारे जैसा
जो मजबूर करदे मौत को भी मुस्कुराने के लिए
- सते हितं सत्यम-
जरा ठहर खुद को संभाल प्यारे
अपने पैरों का कांटा खुद निकाल प्यारे
किरदार तो किरदार है निभाना पड़ता है
हु मैं दरिया तो तू कश्ती निकाल प्यारे
तारीफ क्या करे तेरी जुल्फें घटाएं गहरी आंखे
मीठी बातें गुस्सा उफ़ होठ है तेरे लाल प्यारे
आधी रात धड़क उठता है दिल तेरा भी मेरा भी
देख जरा कितना हैं हसीन मौसम का जाल प्यारे
हमको दफ्तर ने चाट लिया है अंदर से फिक्र
तेरी है मुझको तू तो दे दे इस्तीफा इस साल प्यारे
- सते हितं सत्यम-
किसी ने इतना टूट कर कभी चाहा नही हमको
जिसने चाहा टूट कर उसने कभी बताया नही हमको
सब ही ने जलाया है हमको दीपक की तरह
किसी ने आंखों में काजल की तरह सजाया नही हमको
- सते हितं सत्यम
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फिर इश्क में ये दस्तूर ये मुकाम आया
पत्थर के घर भी फूल का सलाम आया
लबों की बातें तो झूठी थी तुम्हारी आंखों
के हवाले काजल की श्याई से मेरा नाम आया
सब कुछ निसार है तुझ पर ऐसा न सोचना
जाना ये दीवाना दिल कब किसके काम आया
हम इतना डूबे किताबों में आंसू आए
पर किताब से राम आया ना श्याम आया
फिर शायर को आधी रात "सत्यम" ख्याल आया
वही कल गजल लिखने का बेबस अंजाम आया
- सते हितं सत्यम
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