कहने को तो ये दूरियां बहुत हैं,
पर ख्वाबों में वो हर वक्त आते हैं।
उसे देखे हुए तो दिन बीत गए,
क्यूं उसकी आंखों में हम खो से जाते हैं।
सिमटी हैं वो मुलाकात कुछ यादें बनके,
उसका चेहरा देखे बिना हम मरे से जाते हैं।
बातें तो वो करती रहती है अटपटी,
पर उन बातों के लिए हम तरस से जाते हैं।
यूं तो काफी वजहें हैं मुस्कुराने की,
पर उसकी मुस्कुराहट में हम सिमट से जाते हैं।
है तो दर्द मुझे भी काफी जिंदगी में,
पर उसके आंसू देख हम बिखर से जाते हैं।
वैसे तो काफी टेढ़े हैं मंजिल तक के रास्ते,
तभी उसकी हथेली पकड़ चलने को ठहर जाते हैं।
कहने को तो ये दूरियां हीं बहुत हैं,
इन्हे नजदीकियां बनाने में वक्त बीत जाते हैं।।— % &
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